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चंगेज खान का इतिहास।।मध्यकालीन इतिहास का एक क्रूरतम शासक।। changej khan # upsc

चंगेज खान चीन के दक्षिण में स्थित मंगोलिया नामक एक देश से संबंधित था चंगेज खान का वास्तविक नाम तेमुजिन था। यहां हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि चंगेज खान मुस्लिम नहीं था  ।क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव के कारण उसे चंगेज खान कहां जाने लगा। चंगेज खान एक बहुत ही क्रूर शासक था वह मंगोलिया की यायावर जनजाति से संबंधित है यायावर जनजाति एक घुमक्कड़ जनजाति होती है। जो भेड़ बकरियों का पालन करती है चंगेज खान का एक जनजातीय से उभर कर इतना बड़ा शासक बनना उसके लिए एक विशेष प्रसिद्ध थी उसने यह प्रसिद्धि अपने क्रूर व्यवहार के कारण ही प्राप्त की थी । चंगेज खान स्वयं को खुदा का कहर कहता था चंगेज खान द्वारा निर्मित मंगोल सैनिकों में भी उसी की तरह क्रूरता व्याप्त थी। मंगोलों ने अधिकांश युद्धों में जानबूझकर आतंक का उपयोग किया क्योंकि वह चाहते थे कि लोगों में हारने के बाद उनका भय बन जाए और साथ ही अन्य शासक भी इसी भय के कारण उस से युद्ध करने से पहले ही हार मानलें। मंगोल सैनिकों द्वारा किसी भी राज्य के शासक को युद्ध में हराने के बाद उनकी प्रजा के साथ बहुत ही अनैतिक व्यवहार किया जाता था सभी सैनिकों का ब...

सिंधिया रियासत । ग्वालियर रियासत mppsc mains । सिंधिया रियासत इन हिंदी। sindhiya riyasat।#mpgk

स्थापना - पेशवाओं  द्वारा 1731 में मालवा को सिंधिया, होलकर और पवार के मध्य बांट दिया जाता है । # राणोजी सिंधिया •  1731 में मालवा का एक भाग सिंधिया को मिला जिस पर राणाेजी सिंधिया शासन कर रहे थे उन्होंने सिंधिया राजवंश की स्थापना की। राणोजी ने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया। •  राणोजी महाराष्ट्र राज्य के कन्हेरखेड़ा (सतारा जिला) से संबंधित थे  •  राणेजी सिंधिया के पश्चात उनके पुत्र महादजी सिंधिया शासक बने। # महादजी सिंधिया (1761-1794) •  महादजी सिंधिया को सिंधिया वंश के वास्तविक संस्थापक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने पिता द्वारा प्राप्त साम्राज्य का अत्यधिक विस्तार किया महादजी सिंधिया के शासनकाल में सिंधिया रियासत में पंजाब से लेकर गंगा-यमुना के दोआब तक का क्षेत्र सम्मिलित था। • महादजी द्वारा अंग्रेजों को अनेक युद्धों में पराजित किया गया इन्होंने राजपूतों को भी पराजित किया। • मुगल बादशाह शाहआलम को महादजी ने संरक्षण प्रदान किया। शाहआलम द्वारा महादजी सिंधिया को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। • 1793 ईस्वी में लाखेरी के युद्ध में महादजी सिं...

विवाह के प्रकार । विवाह की पद्धतियां mppsc mains। हिंदू ,मुस्लिम, ईसाईयों में प्रचलित विवाह के प्रकार। mpgk

• हिंदू विवाह के परंपरागत प्रकार :- प्राचीन काल में विभिन्न स्मृतिकारों में हिंदू विवाह के अलग-अलग प्रकार बताए हैं। • मानव गृहसूत्र के अनुसार :-  मानव गृहसूत्र में दो प्रकार के विवाह का उल्लेख किया गया है -  (1)ब्रह्म विवाह (2) शौलक विवाह वशिष्ठ ऋषि द्वारा छह प्रकार के विवाहों को मान्यता दी गई है। प्राचीन भारत में कानून की प्रथम पुस्तक माने जाने वाले मनुस्मृति की रचना करने वाले मनु ने हिंदू विवाह के 8 प्रकारों का उल्लेख किया है विवाह के यह आठ प्रकार इस प्रकार हैं :- (1) ब्रह्म विवाह - याज्ञवल्क्य के अनुसार जब कन्या का पिता सच्चरित्र एवं गुणवान वर का चयन कर अपनी सामर्थ्य अनुसार अलंकारों से सुशोभित कर कन्यादान करता है ,तो इस प्रकार का विवाह ब्रह्म विवाह कहलाता है यह सबसे उच्च श्रेणी का विवाह माना गया है। (2) दैव विवाह - प्राचीन काल में यज्ञ का प्रचलन हुआ करता था यज्ञ करवाने वाले को पुरोहित कहते थे। जब कन्या के पिता द्वारा पुरोहित से कन्या का विवाह करा दिया जाता था तो इस प्रकार का विवाह दैव विवाह कि  श्रेणी में आता था। (3) आर्ष विवाह - यहां आर्ष शब्द का संबंध ऋषि स...

मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण

              मौर्य वंश के पतन के कारण चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य प्राचीन काल     में सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसमें प्राचीन भारत का अधिकांश भाग सम्मिलित था। अशोक के कलिंग विजय   के उपरांत मौर्य साम्राज्य और विस्तृत हो गया किंतु अशोक के शासनकाल के समाप्त होने के साथ ही     232 ई.पू. से मौर्य साम्राज्य का पतन होने लगा। मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण :- (1) बौद्ध धर्म एवं अहिंसा का अत्यधिक प्रचार प्रसार - कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक के हृदय परिवर्तन हो जाने से अशोक ने भेरीघोष  की जगह धम्मघोष  का मार्ग अपना लिया । उसने अहिंसा का मार्ग अपनाया अपने स्वयं के महल में बनने वाले मोर के मांस पर उसने रोक लगा दी । साथ ही अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए पशुबलि पर रोक लगा दी ।  यज्ञ विधान पर रोक लगा दी जिससे ब्राह्मणों की आय में कमी आ गई ।उस समय तक यज्ञ ही ब्राह्मणों के जीवनयापन का प्रमुख साधन होते थे इसलिए अशोक की नीति में सहिष्णुता होते हुए भी ब्राह्मणों में अशोक के प्रति विद्रोह की भावना जन्म ले...

पंजाब मेल हत्याकांड ,मध्यप्रदेश

23 जुलाई 1931  की रात को दिल्ली से मुंबई जा रही पंजाब मेल के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में अंग्रेज अधिकारी हेक्सट , शीहन और उनका शिकारी कुत्ता सवार थे।     म. प्र. के प्रमुख क्रांतिकारी के रूप में देश को आजादी दिलाने के लिए दमोह के वीर यशवंत सिंह  , भुसावल के देव नारायण तिवारी( रेलवे कर्मचारी) और उनके मित्र दलपत राव ने अंग्रेज अधिकारियों से रायफल और अन्य सामान लूटने की योजना बनाई। तीनों सेनानियों में ट्रेन के डिब्बे में पहुंचकर अपनी मातृभूमि के लिए बदला लेने के उद्देश्य ट्रेन की जंजीर खींचकर ट्रेन को रोक लिया और ट्रेन में चढ़कर इन अंग्रेज अधिकारियों पर हमला करके अंग्रेज अधिकारी हेक्सट की हत्या कर दी किंतु शीहन नामक अधिकारी बच निकला। तीनों क्रांतिकारी ट्रेन से उतरकर जंगल में छिप गए तथा बचकर भागने में सफल रहे किंतु गहन छानबीन के बाद पुलिस द्वारा तीनों क्रांतिकारियों को पकड़ लिया गया और खंडवा की अदालत में उन पर मुकदमा चलाया गया।  यशवंत सिंह और देव नारायण तिवारी को जबलपुर जेल में फांसी दे दी गई तथा दलपततराव को काले- पानी की सजा देकर अंडमान भेज दिया गया। इ...

मौर्याकाल की प्रशासनिक व्यवस्था। मौर्यकालीन प्रशासन। mauryakal ka prashasan। कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत

मौर्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था प्राचीन भारत की एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था थी जिसमें राजा का स्थान सर्वोपरि होता था सभी महत्वपूर्ण निर्णय राजा से पूछ कर लिए जाते थे राजा की सहायता हेतु मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता था।  इसके अतिरिक्त साम्राज्य का प्रशासन सुचारू रूप से चलाने के लिए साम्राज्य को कई भागों में विभाजित किया गया था जो इस प्रकार हैं-  •    केंद्र  - केंद्र का प्रमुख राजा होता था।  •     प्रांत  - प्रांत का प्रमुख कुमार या राष्ट्रीक कहलाता था। •  मंडल - मंडल का प्रमुख प्रदेष्टा का कहलाता था ।   •    विषय / आहार - विषय प्रमुख विषयपति /आहार पति  कह लाता था।   •   गोप- गोप का प्रमुख गोपना कहलाता था। गोप 10 ग्रामों का समूह होता था।    •    ग्राम - ग्राम का प्रमुख ग्रामिणी कहलाता था। केंद्रीय प्रशासन संपूर्ण प्रशासन का प्रमुख राजा होता था राजा की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद होती थी। इन मंत्रियों की नियुक्ति उपधा परीक्षण के बाद की जाती थी। प्रमुख मंत्री निम्नलिखित हैं-...

गोंडवाना रियासत mppsc mains(new syllabus)।Gondwana riyasat ।Gondwana dynasty in Hindi 2021

गोंड वंश का सर्वप्रथम उल्लेख रामनगर के संस्कृत अभिलेख में मिलता है जिसे गोंड वंश के शासक हृदयशाह द्वारा 1667 में बनवाया गया था । गौड़ वंश के बारे में जानकारी रामनगर के अभिलेख (संस्कृत भाषा में लिखित )से तथा अकबरनामा से प्राप्त होती है।गौड़ वंश में अनेक प्रतापी शासक हुए जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं :-    संग्राम शाह ,दलपत शाह ,रानी दुर्गावती, मधुकर शाह आदि। यादवराव / यदुराय / योरदम ०   शासनावधि:-1328-1440 ० यादव राव ने गोंड वंश की स्थापना की जिसका उल्लेख रामनगर अभिलेख में मिलता है। ० यादवराव के पिता जोध सिंह पटेल थे। ० दमोह के शासक की पुत्री रत्नावली से यादवराव का विवाह हुआ। ० यदुराय के बाद खरजी शासक बना। खरजी ० शासन अवधि:- 1440-1460 ० इसने एक संगठित सेना का गठन किया तथा राज्य को समृद्धि के पथ पर अग्रसर किया। ० खरजी एक कुशल शासक के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। गौरक्षक दास ० शासन अवधि:-1440-1480 सुखनदास ० शासन अवधि :-1480-1500 ० इसने अपने पड़ोसी रियासतों के राजाओं के साथ मित्रवत संबंध स्थापित कर अपने राज्य का विस्तार व संचालन किया अर्जुन दास ० शासन अवधि:...

Maurya vansh । मौर्य वंश का इतिहास । मौर्य वंश का संस्थापक

             मौर्य वंश की जानकारी के स्रोत  साहित्यिक स्रोत                    पुरातात्विक स्रोत •अर्थशास्त्र (कौटिल्य)                 •अशोक के अभिलेख •इंडिका(मेगास्थनीज)                 •भवन स्तूप गुफा •पुराण                                     •जूनागढ़ अभिलेख •मुद्राराक्षस(विशाखदत्त)              •मृदभांड •बौद्ध जैन ग्रंथ मौर्य वंश की स्थापना- नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद की हत्या करके 322 BC में चंद्रगुप्त मौर्य ने कौटिल्य की सहायता से मौर्य वंश की स्थापना की। मौर्य वंश के शासकों का क्रम- • चंद्रगुप्त मौर्य (322-298BC) • बिंदुसार (298-273BC) • अशोक (273-232BC) मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य (322- 398BC) • बौद्ध और जैन ग्रंथों में चंद्रगुप्त मौर्य को क्...

मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय जागरण में समाचार पत्रों की भूमिका #mp exams

          मध्य प्रदेश के समाचार-पत्र एवं राष्ट्रीय                            आंदोलन में उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम के समय समाचार पत्रों ने लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए अनेक लेख प्रकाशित किए जिसमें वे ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए अत्याचारों उनकी दमनकारी नीतियों और आर्थिक शोषण की नीतियों का उजागर करके भारतीय जनमानस में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।          राजा राममोहन राय को भारतीय पत्रकारिता के अग्रदूत एवं भारतीय नवजागरण के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। मध्यप्रदेश में प्रकाशित किया गया प्रथम समाचार पत्र " मालवा अखबार" के नाम से जाना जाता है मालवा अखबार का प्रकाशन 1849 से प्रारंभ हुआ था यह एक ऐसा समाचार पत्र था जिसमें 2 भाषाओं हिंदी और उर्दू का एक साथ प्रयोग किया गया था। मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय चेतना को जगाने में अनेक कारकों ने अपना योगदान दिया जिनमें समाचार पत्रों के महत्वपूर्ण भूमिका है राष्ट्रीय आंदोलन के समय महात्मा गांधी ...

रानी अवंती बाई की जीवनी mppsc mains/ गोंडवाना रियासत ( रामगढ़ रियासत )। Gondavana riyasat

                रामगढ़ की रानी अवंतीबाई परिचय:- रानी अवंतीबाई मनखेड़ी ( सिवनी जिला ) गांव के जमींदार जुझार सिंह की पुत्री थीं ।इनका जन्म 16 अगस्त 1831ई . को हुआ इन्होंने  1857 की क्रांति में अपने अपूर्व शौर्य का परिचय  दिया। मंडला जिले के वीर सेनानियों में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई  ने अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम और शौर्य का परिचय देते हुए देश के स्वतंत्रता संग्राम के  युद्ध में शामिल होकर हमारी देश की वीरांगनाओं में अपना भी नाम अंकित किया। रामगढ़ मंडला जिले की पहाड़ियों में स्थित एक छोटा सा नगर है । रानीअवंती बाई का विवाह रामगढ़ के राजा लक्ष्मण सिंह के पुत्र विक्रमाजीत सिंह के साथ हुआ । सन् 1850 में राजा लक्ष्मणसिंह की मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र विक्रमाजीत सिंह के मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाने के कारण शासन प्रबंध को अयोग्य समझतेे हुए अपनी हड़प नीति के तहत रामगढ़ को हड़पने का प्रयास किया और वहां "कोर्ट ऑफ वार्ड" की स्थापना कर एक अंग्रेज अधिकारी की नियुक्ति कर दी तथा राज परिवार के भरण-पोषण के लिए वार्षिक वृत्ति बा...

रीवा रियासत के राजा गुलाब सिंह के प्रमुख कार्य एवं सुधार mppsc mains 2021

                              गुलाब  सिंह गुलाब सिंह रीवा रियासत पर शासन करने वाले एक प्रमुख राजा रहे हैं । इनसे पूर्व रीवा पर 32 राजाओं का शासन रहा है । राजा गुलाब सिंह जी को उनके कार्यों के साथ-साथ उनके सुधारों के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है गुलाब सिंह का जन्म 13 मार्च 1903 को हुआ ।इनके पिता राजा वेंकटरमण सिंह तथा माता  श्री शिवराज कुमारी देवी है। इनकी माता को उज्जयिनी महारानी के नाम से भी जाना जाता है जो कि डुमँराव के महाराज राधिका प्रसाद सिंह परमार की पुत्री थी ।     इन्होंने 1918 से 30 जनवरी 1946 तक शासन किया तत्पश्चात इनके पुत्र मार्तंड सिंह 31 जनवरी 1946 को रीवा रियासत (बघेली रियासत) के राजा बने। गुलाब सिंह द्वारा किए गए प्रमुख सुधार :- प्रशासनिक सुधार :- ०  1927 ईस्वी में बघेलखंड में न्यायालय की स्थापना की। ०  रीवा में बैंंक ऑफ बघेलखंड की स्थापना गुलाब सिंह द्वारा सन 1934 ईस्वी में की गई । ०  इन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु कृषि स...

Holkar vansh in hindi 2021।Indore riyasat in Hindi । Indore dynasty in Hindi ।होलकर वंश का इतिहास।अहिल्याबाई होलकर ।तुकोजीराव होलकर

                  होलकर रियासत  होलकर साम्राज्य की स्थापना  मल्हारराव  होलकर ने की । होलकरो का संबंध महाराष्ट्र के होल गांव से था यही कारण है कि इन्हें होलकर के नाम से जाना जाता है। होलकर धनगर (चरवाह) जाति से संबंधित थे। होलकर वंश की स्थापना करने से पूर्व मल्हार राव होलकर ने पेशवाओं की अनेक युद्धों में सहायता की तथा उन्हें विजय दिलवायी मराठाओं ने उनकी सैनिक कुशलता को देखते हुए तथा उनके साहस और प्रतिभा को देखकर उन्हें 11 गांवों की जागीर सौंपी।      1727ई. मैं मल्हारराव होलकर को मराठों( पेशवा) द्वारा मालवा के 5 महलों की सनद प्राप्त हुई और उन्होंने वहां शासन करना प्रारंभ कर दिया। >मल्हार राव होलकर •  जन्म -1693ई.में  •पिता - खांडूूजी • इनकी चार पत्नियां थीं- (1) गौतमाबाई                                  (2) द्वारकाबाई                             ...

भोपाल रियासत की स्थापना| भोपाल की बेगमें।Bhopal dynasty mppsc mains 2021। Bhopal riyasat mppsc mains 2021।MP Gk notes

आज   हम आपको mp की भोपाल रियासत के बारे मैं बताने जा रहे हैं आशा करते हैं हमारा लेख आपके exam में उपयोगी होगा  Content  (1) भोपाल रियासत का का परिचय (2) भोपाल रियासत की स्थापना (3) भोपाल के शासकों का क्रम  (4) भोपाल के शासकों के कार्य                 भोपाल रियासत का परिचय   भोपाल रियासत के बनने से पहले यहा गोंड राजा निजाम शाह का शासन था जिनकी हत्या चैनसिंह ने जहर देेेकर कर दी । निजाम शाह की विधवा रानी कमलापति  और पुत्र नवलशाह  असहाय हो गए।इन परिस्थियों में रानी कमलावती ने अपने राज्य की सुुुुरक्षा हेतु दोस्त मुहम्मद खान से  एक समझौता किया जिसके तहत् दोस्त मुहम्मद खान को मौजा गांव   और राजसी धन दिया गया तथा उसे राज्य के प्रबंधन का कार्य सौंपा गया।रानी कमलापति की मृत्यु केे पश्चाात दोस्त मोहम्मद खान ने गिन्नौरगढ़ के किले पर अधिकार कर लिया। इसके अतिरिक्त दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर केे देवरा राजपूतों की धोखे से हत्या करके उन्हें हलााली नदी में बहा दिया ,कहा जाता है कि उसने इतनी क्रूरता से राजप...