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1240 ईस्वी में रजिया की मृत्यु के पश्चात बहरामशाह शासक बना। बहरामशाह ने 1240-1242 तक शासन किया तत्पश्चात महमूदशाह शासक बना। महमूद शाह के पश्चात नासिरुद्दीन महमूद शासक बना। रजिया के पश्चात बनने वाले प्रमुख शासक मुईजुद्दीन बहरामशाह (1240-42) अलाउद्दीन महमूद शाह (1242-46) नसीरूद्दीन महमूद (1246-1266) इन सभी शासकों ने कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया ना ही किसी विशाल साम्राज्य की स्थापना की इन सभी के पश्चात एक प्रमुख शासक आया जिसे गयासुद्दीन बलबन के नाम से जाना जाता है। > बलबन 1246-1266 ई. तक इल्तुतमिश के छोटे बेटे नासिरुद्दीन महमूद का नायाब रहा। > बलबन ने 20 साल तक नायाब के रूप में और 20 साल तक सुल्तान के रूप में शासन किया। > बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिररुद्दीन महमूद से किया और शासन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ली। > अमीर तुर्क सरदार बलबन को पसंद नहीं करते थे इसलिए उन्होंने बलबन के विरुद्ध एक षड्यंत्र रचा और बलबन को उसके नायाब के पद से हटाकर इमादुद्दीन रेहान नाम के एक भारतीय मुसलमान को नायाब के पद पर...
मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा सत्तारोहण के तुरंत बाद अनेक नवीन प्रयोग किए गए जो बुरी तरह असफल रहे। इन प्रयोगों की सफलता या असफलता का कारण बताना संभव नहीं है । संभवतः यह प्रयोग उचित क्रियान्वयन के अभाव या अपने समय से पूर्व होने के कारण असफल रहे होंगे। ( सांकेतिक मुद्रा वर्तमान में प्रचलित है और इसी का प्रचलन करने का प्रयास मोहम्मद बिन तुगलक ने 14 वीं शताब्दी में किया जो कि अपने समय से बहुत आगे था) मोहम्मद - बिन - तुगलक के इन असफल प्रयोगों के कारण ही उसे इतिहास में पागल शासक भी कहा जाता है। (1) सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग - सांकेतिक मुद्रा मुद्रा को कहते हैं जिसका वास्तविक मान सोने एवं चांदी के सिक्कों के मान से कम होता है । जैसे सोने एवं चांदी के स्थान पर तांबे एवं कांस्य के सिक्कों का उपयोग करना सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग करना कहलाता है। भारतीय इतिहास में सर्वप्रथम सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग मोहम्मद बिन तुगलक ने किया। 14 वीं शताब्दी में विश्व में चांदी की कमी हो गई इस कमी से निपटने के लिए मोहम्मद बिन तुगलक ने चांदी के स्थान पर अन्य निम्न कोटि के धातुओं का प्रयोग सिक्के ...
मौर्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था प्राचीन भारत की एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था थी जिसमें राजा का स्थान सर्वोपरि होता था सभी महत्वपूर्ण निर्णय राजा से पूछ कर लिए जाते थे राजा की सहायता हेतु मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता था। इसके अतिरिक्त साम्राज्य का प्रशासन सुचारू रूप से चलाने के लिए साम्राज्य को कई भागों में विभाजित किया गया था जो इस प्रकार हैं- • केंद्र - केंद्र का प्रमुख राजा होता था। • प्रांत - प्रांत का प्रमुख कुमार या राष्ट्रीक कहलाता था। • मंडल - मंडल का प्रमुख प्रदेष्टा का कहलाता था । • विषय / आहार - विषय प्रमुख विषयपति /आहार पति कह लाता था। • गोप- गोप का प्रमुख गोपना कहलाता था। गोप 10 ग्रामों का समूह होता था। • ग्राम - ग्राम का प्रमुख ग्रामिणी कहलाता था। केंद्रीय प्रशासन संपूर्ण प्रशासन का प्रमुख राजा होता था राजा की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद होती थी। इन मंत्रियों की नियुक्ति उपधा परीक्षण के बाद की जाती थी। प्रमुख मंत्री निम्नलिखित हैं-...
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