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आर्य समाज और स्वामी दयानंद सरस्वती । Aarya samaj in hindi। आर्य समाज के 10 सिद्धांत

आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा 1875 ई. में बम्बई ( मुंबई )में की गई। आर्य समाज का प्रमुख उद्देश्य वैदिक कालीन व्यवस्था को अपनाना था तथा किसी कारणवश धर्म परिवर्तित कर चुके लोगों को पुनः हिंदू धर्म में लाना था। स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों को ही सबसे श्रेष्ट बताया तथा प्रत्येक व्यक्ति को वेद में बताए गए नियमों के अनुसार जीवन जीने का संदेश दिया।  • स्वामी दयानंद सरस्वती के बचपन का नाम मूल शंकर था।   •   पूर्णानंद ने उन्हें दयानंद सरस्वती नाम दिया।   • स्वामी दयानंद सरस्वती के गुरु का नाम स्वामी विरजानंद था। स्वामी विरजानंद नेत्रहीन थे।  • स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 ईस्वी में आर्य समाज की स्थापना की। प्रारंभ में इन्होंने मुंबई को आर्य समाज का मुख्यालय बनाया किंतु बाद में उन्होंने लाहौर को आर्य समाज का मुख्यालय बनाया।  •  स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा "वेदों की ओर लौट चलो" का नारा दिया गया।  • आर्य समाज ने वेदों को श्रेष्ठ बताया किंतु हिंदू ग्रंथ, पुराणो की आलोचना की ।  उन्होंने कहा कि स्वार्थी और अज्ञानी व्यक्तियों...