संदेश

Ancient history। प्राचीन भारत लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Baudha dharm in hindi। बौद्ध धर्म इन हिंदी।

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में नए धर्मों का उदय हुआ जिन्होंने लोगों के बीच सामाजिक समरसता उत्पन्न करने पर बल दिया एवं यज्ञ आदि में की जा रही निर्मम पशु हत्या का विरोध किया।  किसी समय दो महान धर्म बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म का उदय  हुआ आज हम बहुत धर्म के बारे में विस्तार से पढ़ेगे ।   गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की।  गौतम बुद्ध से संबंधित जानकारी -  गौतम जन्मे लुंबिनी , बोधगया में ज्ञान  सारनाथ में सीख दी , कुशीनगर में प्राण • जन्म - 563 BC • मृत्यु - 483 BC ( महापरिनिर्वाण )  • पिता - शुद्धोधन  • माता - महामाया  • वंश - शाक्य वंश • सौतेली माता - प्रजापति गौतमी  प्रजापति गौतमी , सिद्धार्थ अर्थात गौतमबुद्ध  की सौतेली मां थी जो इनकी मौसी भी थी । इनकी माता महामाया की मृत्यु गौतम बुद्ध को जन्म देते समय हो गई थी। आगे जाकर प्रजापति गौतमी वह पहली महिला बनी जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया । इससे पूर्व बौद्ध धर्म में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था • पत्नी - यशोधरा  • पुत्र - राहुल  • गृहत्याग - 29 वर्ष की आयु में ( महाभिनि...

मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण

              मौर्य वंश के पतन के कारण चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य प्राचीन काल     में सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसमें प्राचीन भारत का अधिकांश भाग सम्मिलित था। अशोक के कलिंग विजय   के उपरांत मौर्य साम्राज्य और विस्तृत हो गया किंतु अशोक के शासनकाल के समाप्त होने के साथ ही     232 ई.पू. से मौर्य साम्राज्य का पतन होने लगा। मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण :- (1) बौद्ध धर्म एवं अहिंसा का अत्यधिक प्रचार प्रसार - कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक के हृदय परिवर्तन हो जाने से अशोक ने भेरीघोष  की जगह धम्मघोष  का मार्ग अपना लिया । उसने अहिंसा का मार्ग अपनाया अपने स्वयं के महल में बनने वाले मोर के मांस पर उसने रोक लगा दी । साथ ही अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए पशुबलि पर रोक लगा दी ।  यज्ञ विधान पर रोक लगा दी जिससे ब्राह्मणों की आय में कमी आ गई ।उस समय तक यज्ञ ही ब्राह्मणों के जीवनयापन का प्रमुख साधन होते थे इसलिए अशोक की नीति में सहिष्णुता होते हुए भी ब्राह्मणों में अशोक के प्रति विद्रोह की भावना जन्म ले...

मौर्याकाल की प्रशासनिक व्यवस्था। मौर्यकालीन प्रशासन। mauryakal ka prashasan। कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत

मौर्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था प्राचीन भारत की एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था थी जिसमें राजा का स्थान सर्वोपरि होता था सभी महत्वपूर्ण निर्णय राजा से पूछ कर लिए जाते थे राजा की सहायता हेतु मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता था।  इसके अतिरिक्त साम्राज्य का प्रशासन सुचारू रूप से चलाने के लिए साम्राज्य को कई भागों में विभाजित किया गया था जो इस प्रकार हैं-  •    केंद्र  - केंद्र का प्रमुख राजा होता था।  •     प्रांत  - प्रांत का प्रमुख कुमार या राष्ट्रीक कहलाता था। •  मंडल - मंडल का प्रमुख प्रदेष्टा का कहलाता था ।   •    विषय / आहार - विषय प्रमुख विषयपति /आहार पति  कह लाता था।   •   गोप- गोप का प्रमुख गोपना कहलाता था। गोप 10 ग्रामों का समूह होता था।    •    ग्राम - ग्राम का प्रमुख ग्रामिणी कहलाता था। केंद्रीय प्रशासन संपूर्ण प्रशासन का प्रमुख राजा होता था राजा की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद होती थी। इन मंत्रियों की नियुक्ति उपधा परीक्षण के बाद की जाती थी। प्रमुख मंत्री निम्नलिखित हैं-...

Maurya vansh । मौर्य वंश का इतिहास । मौर्य वंश का संस्थापक

             मौर्य वंश की जानकारी के स्रोत  साहित्यिक स्रोत                    पुरातात्विक स्रोत •अर्थशास्त्र (कौटिल्य)                 •अशोक के अभिलेख •इंडिका(मेगास्थनीज)                 •भवन स्तूप गुफा •पुराण                                     •जूनागढ़ अभिलेख •मुद्राराक्षस(विशाखदत्त)              •मृदभांड •बौद्ध जैन ग्रंथ मौर्य वंश की स्थापना- नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद की हत्या करके 322 BC में चंद्रगुप्त मौर्य ने कौटिल्य की सहायता से मौर्य वंश की स्थापना की। मौर्य वंश के शासकों का क्रम- • चंद्रगुप्त मौर्य (322-298BC) • बिंदुसार (298-273BC) • अशोक (273-232BC) मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य (322- 398BC) • बौद्ध और जैन ग्रंथों में चंद्रगुप्त मौर्य को क्...