Baudha dharm in hindi। बौद्ध धर्म इन हिंदी।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में नए धर्मों का उदय हुआ जिन्होंने लोगों के बीच सामाजिक समरसता उत्पन्न करने पर बल दिया एवं यज्ञ आदि में की जा रही निर्मम पशु हत्या का विरोध किया।
किसी समय दो महान धर्म बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म का उदय हुआ आज हम बहुत धर्म के बारे में विस्तार से पढ़ेगे ।
गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की।
गौतम बुद्ध से संबंधित जानकारी -
गौतम जन्मे लुंबिनी , बोधगया में ज्ञान
सारनाथ में सीख दी , कुशीनगर में प्राण
• जन्म - 563 BC
• मृत्यु - 483 BC ( महापरिनिर्वाण )
• पिता - शुद्धोधन
• माता - महामाया
• वंश - शाक्य वंश
• सौतेली माता - प्रजापति गौतमी
प्रजापति गौतमी , सिद्धार्थ अर्थात गौतमबुद्ध की सौतेली मां थी जो इनकी मौसी भी थी । इनकी माता महामाया की मृत्यु गौतम बुद्ध को जन्म देते समय हो गई थी।
आगे जाकर प्रजापति गौतमी वह पहली महिला बनी जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया । इससे पूर्व बौद्ध धर्म में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था
• पत्नी - यशोधरा
• पुत्र - राहुल
• गृहत्याग - 29 वर्ष की आयु में ( महाभिनिष्क्रमण)
• चारों दृश्य - (1) वृद्ध व्यक्ति (2) बीमार व्यक्ति
(3) मृत व्यक्ति (4) एक सन्यासी
• प्रथमगुरु - अलार कलाम ( वैशाली )
• द्वितीयगुरु - रूद्रक राजपूत
• ज्ञान प्राप्ति - बोधगया ( पीपल के वृक्ष के नीचे )/ बोधि वृक्ष
सिद्धार्थ को अपने गृह त्याग के 6 वर्ष पश्चात 35 वर्ष की आयु में बोधगया नामक स्थान में पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई तभी से यह बुद्ध कहलाने लगे।
• प्रियशिष्य - आनंद ( आनंद के कहने पर ही गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म में महिलाओं के प्रवेश को स्वीकारा था)
• प्रथमउपदेश - सारनाथ
• अंतिम उपदेश - सुभद नामक शिष्य को।
कहानी के रूप में -
गौतम बुद्ध का जन्म शुद्धोधन नाम के कपिलवस्तु के राजा के यहां हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था ऐसा कहा जाता है कि बचपन में जब किसी ज्योतिषी ने इनका हाथ देखा तो उसने राजा शुद्धोधन से कहा कि यह बालक बहुत बड़ा राजा या बहुत बड़ा सन्यासी बनेगा । सन्यासी बनने की बात को सुनकर राजा दुःखी हो गए और उन्होंने यह प्रण कर लिया कि वह ऐसी कोई भी घटना सिद्धार्थ के समक्ष घटित नहीं होने देंगे जिस कारण वह सन्यासी बनने की राह को चुने।
इसलिए उन्होंने बचपन से ही सिद्धार्थ को हर प्रकार की सुख सुविधाएं दी तथा ऐसा कोई भी दुःख भरा दृश्य उनके सामने नहीं आने दिया जिसे देखकर उनका मन विचलित हो ।
किंतु एक बार सिद्धार्थ हठ करके महल से बाहर निकलते हैं और भ्रमण करते हैं। राजा द्वारा सभी को सख्त आदेश दे दिया गया कि ऐसा कोई भी व्यक्ति राज्य में दिखाई नहीं देना चाहिए जो दुखी हो । सिद्धार्थ के समक्ष सभी स्वस्थ एवं खुशहाल व्यक्ति ही दिखाई दे किंतु राजा के अथक प्रयासों के बावजूद जब सिद्धार्थ भ्रमण पर निकलते हैं तो उन्हें चार ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं जो उन्होंने पहले कभी भी नहीं देखा था। पहला एक बीमार व्यक्ति , एक वृद्ध व्यक्ति , एक मृत व्यक्ति और एक सन्यासी उन्होंने अपने साथ रह रहे महल के कर्मचारियों से यह पूछा की वृद्ध क्या होता है ? क्या सभी वृद्ध होते हैं ? क्या मेरी यशोधरा भी इसी प्रकार वृद्ध हो जाएगी। बीमारी क्या होती है ? मृत क्या होता है ? क्या सभी इंसान मरते हैं ? अंत में उन्होंने एक सन्यासी को देखा जो प्रसन्न था और तब से उन्होंने एक सन्यासी बनने का निश्चय कर लिया।
गौतम बुद्ध का उस समय एक पुत्र था जिसका नाम राहुल था उन्होंने राहुल को एक और बंधन कह कर संबोधित किया है। कहा जाता है कि जब राहुल मात्र 7 दिन का था तब गौतम बुद्ध ने रात्रि के समय अपना घर त्याग दिया वह अपने घर से घोड़े पर बैठकर बाहर निकले थे इसलिए घोड़े को उनके गृह त्याग का प्रतीक माना जाता है। गृह त्याग को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण के नाम से जाना जाता है।
यशोधरा से विवाह से संबंधित घटना -
गौतम बुद्ध अर्थात सिद्धार्थ के विवाह को लेकर उनके माता-पिता को अत्यधिक चिंता थी क्योंकि वह विवाह में किसी भी प्रकार की रुचि नहीं दिखा रहे थे। इसलिए राजा द्वारा यह निश्चय किया गया की सभी राज्यों की सुंदर राजकुमारियों को राज्य में बुलवाया जाएगा और सिद्धार्थ द्वारा सभी को उपहार भेंट करवाए जाएंगे जिस भी राजकुमारी को उपहार देते समय सिद्धार्थ प्रश्न दिखाई देंगे अर्थात वह मुस्कुरा रहे होंगे उसी राजकुमारी से उनका विवाह कर दिया जाएगा। यशोधरा नाम की राजकुमारी को उपहार देते समय सिद्धार्थ किसी अन्य कारण से मुस्कुराने लगे जिसे देखकर उनके पिता ने यशोधरा से सिद्धार्थ का विवाह करने का निश्चय कर लिया।
यह पूर्णतः सत्य है कि गौतम बुद्ध एक बहुत ही महान व्यक्ति थे किंतु गौतम बुद्ध के अचानक गृह त्याग के पश्चात यशोधरा को जिस विरह वेदना को झेलना पड़ा उसकी कल्पना भी कर पाना संभव नहीं है।
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात गौतम बुद्ध एक बार अपने राज्य जाते हैं किंतु वह यशोधरा से एक सन्यासी की भांति मिलते हैं।
गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी प्रमुख घटनाएं एवं उनके प्रतीक :-
घटना प्रतीक
• गृहत्याग घोड़ा
• जन्म कमल एवं सांड़
• ज्ञान पीपल का वृक्ष
• निर्वाण पदचिन्ह
• मृत्यु स्तूप
बौद्ध धर्म के आष्टांगिक मार्ग :-
1 . सम्यक दृष्टि
2 . सम्यक संकल्प
3 . सम्यक वाक
4 . सम्यक कर्म
5 . सम्यक आजीव
6 . सम्यक स्मृति
7 . सम्यक व्यायाम
8 . सम्यक समाधि
गौतम बुद्ध की मृत्यु के पश्चात बौद्ध धर्म आगे जाकर दो संप्रदायों में बट गया। इनमें से एक धर्म बौद्ध धर्म में किसी भी प्रकार के परिवर्तन का विरोध करता था तथा दूसरा समय के अनुसार बौद्ध धर्म में परिवर्तन के पक्ष में था।
यह दो संप्रदाय निम्नलिखित थे।
हीनयान - बौद्ध धर्म में किसी भी प्रकार के परिवर्तन का विरोधी संप्रदाय।
महायान - समय के अनुरूप बौद्ध धर्म में परिवर्तन का पक्षधर।
हीनयान और महायान में प्रमुख अंतर -
हीनयान
• हीनयान शाखा रूढ़िवादी एवं किसी भी प्रकार के परिवर्तन का विरोधी था।
• हीनयान शाखा के लोगों ने बुध को महापुरुष माना किंतु उन्हें देवता के रूप में स्वीकार नहीं किया। बुद्ध ने भी स्वयं को कभी देवता नहीं बताया।
• हीनयान शाखा ने मूर्ति पूजा का विरोध किया।
महायान
• महायान शाखा समय के अनुरूप बौद्ध धर्म में परिवर्तन का समर्थक था।
• महायान शाखा ने बुद्ध को देवता तथा अवतार माना।
• महायान शाखा ने मूर्ति पूजा का समर्थन किया।
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न - ( 1 ) बुद्ध
( 2 ) धम्म
( 3 ) संघ
बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य -
1. दुःख
2. दुःख समुदाय
3. दुःख निरोध
4. दुःख निरोध मार्ग
बौद्ध धर्म में इच्छा को ही सभी दुखों का कारण माना गया है।
बौद्ध धर्म के त्रिपिटक -
1. सूत पिटक - बुद्ध के उपदेशों का संग्रह
2. विनय पिटक - संघ के नियमों का संग्रह
3. अभिधम्म पिटक - बुध के दार्शनिक विचारों का संग्रह
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