Maurya vansh । मौर्य वंश का इतिहास । मौर्य वंश का संस्थापक

             मौर्य वंश की जानकारी के स्रोत

 साहित्यिक स्रोत                    पुरातात्विक स्रोत
•अर्थशास्त्र (कौटिल्य)                 •अशोक के अभिलेख •इंडिका(मेगास्थनीज)                 •भवन स्तूप गुफा
•पुराण                                     •जूनागढ़ अभिलेख
•मुद्राराक्षस(विशाखदत्त)              •मृदभांड
•बौद्ध जैन ग्रंथ

मौर्य वंश की स्थापना- नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद की हत्या करके 322 BC में चंद्रगुप्त मौर्य ने कौटिल्य की सहायता से मौर्य वंश की स्थापना की।

मौर्य वंश के शासकों का क्रम-
• चंद्रगुप्त मौर्य (322-298BC)
• बिंदुसार (298-273BC)
• अशोक (273-232BC)

मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ हुआ।

चंद्रगुप्त मौर्य (322- 398BC)
• बौद्ध और जैन ग्रंथों में चंद्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय बताया गया है जबकि मुद्राराक्षस और पुराणों में चंद्रगुप्त को शुद्र कहा गया है।
• जस्टिस और स्ट्रेबो ने चंद्रगुप्त को सेनड्रोकोटस तथा एप्पीएन और प्लूटार्क ने एंड्रोकोटस नाम दिया।
बाद में विलियम जोंस ने इन नामों को चंद्रगुप्त मौर्य के रूप में पहचाना।
 चंद्रगुप्त मौर्य और सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर के मध्य 305 BC में युद्ध हुआ जिसमें सेल्यूकस निकेटर पराजित हुआ और दोनों के मध्य संधि हो गई।
इस संधि की शर्ते निम्नलिखित हैं :-
   (1) सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलना का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य के साथ कर दिया।
   (2) सेल्यूकस ने अपने राजदूत मेगास्थनीज को चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा।
   (3) चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को 500 हाथी दिए।

चंद्रगुप्त के गुरु का नाम कौटिल्य था जो चंद्रगुप्त का आमात्य भी था । उसने अर्थशास्त्र की रचना की जिसमें सप्तांग सिद्धांत का वर्णन किया गया है यह राजनीति से संबंधित एक ग्रंथ है
• चंद्रगुप्त मौर्य अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म को अपना लिया।
• चंद्रगुप्त मौर्य ने 298 BC में श्रवणबेलगोला में संलेखन विधि द्वारा अपने प्राण त्याग दिए।
• चंद्रगुप्त मौर्य  के  बाद उसका पुत्र बिंदुसार शासक 
बना।

बिंदुसार (298BC-273BC)
बिंदुसार 298 में शासक बना
बिंदुसार अमित्रघात के नाम से भी जाना जाता है
जैन ग्रंथों में बिंदुसार को सिंहसेन भी कहा गया है
•बिंदुसार के समय तक्षशिला में दो विद्रोह हुए जिसे दबाने के लिए उसने अपने पुत्र सुसीम को वहाँ भेजा किंतु सुसीम विद्रोह को दबाने में असफल रहा। उसके पश्चात उसने अशोक को वहां भेजा और अशोक ने ना केवल तक्षशिला के विद्रोह को शांत किया बल्कि प्रजा का प्रेम भी हासिल किया।
कहा जाता है कि इस घटना के बाद से ही अशोक का राजा बनना तय हो गया था।
 बिंदुसार के विदेशी राजाओं से संबंध:-
सीरिया के शासक के साथ 
बिंदुसार का संबंध सीरिया के शासक एंटीयोकस प्रथम से था ।कहा जाता है कि बिंदुसार ने एक बार सीरिया के शासक से सूखे अंजीर ,अंगूरी शराब, तथा एक दार्शनिक मंगाया था।
सीरिया के शासक ने सूखे अंजीर और अंगूरी शराब बिंदुसार को भेंट की किंतु उन्होंने दार्शनिक देने से मना कर दिया क्योंकि यह उनकी परंपरा के विपरीत था
मिस्र के शासक के साथ
मिस्र के राजा टॉलमी द्वितीय ( फिलाडेल्फस) ने डायनोसिस नामक राजदूत को बिंदुसार के दरबार में भेजा।

अशोक (273BC-232BC)
बिंदुसार की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अशोक शासक बना।
वास्तव में अशोक 269 BC में गद्दी पर बैठा क्योंकि कहा जाता है कि बिंदुसार की मृत्यु के पश्चात उसके सभी पुत्रों में सिंहासन के लिए युद्ध होने लगा। जिसके क्रम में अशोक अपने 99 भाइयों की हत्या करके राजा बना किंतु यह बात पूर्णतः सत्य नहीं मानी जा सकती क्योंकि अशोक द्वारा अपने भाइयों की हत्या करना का उल्लेख केवल बौद्ध ग्रंथों में ही पाया जाता है अन्य मत इससे सहमत नहीं है।
 राजा बनने से पहले अशोक अवंति( उज्जैनी) का राज्यपाल था। जो वर्तमान में मध्यप्रदेश में स्थित है।
 अशोक ने अपने शासनकाल  के 9वें वर्ष में कलिंग पर  चढ़ाई  की कलिंग युद्ध में उसे सफलता प्राप्त हुई किंतु इस युद्ध में हुए भीषण नरसंहार को देखकर उसका हृदय परिवर्तन हो गया और उसने भेरीघोष  की जगह धम्मघोष का मार्ग अपना लिया।
 अशोक को इतिहास में अलग-अलग नामों से जाना जाता है । मास्की, गुर्जरा (दतिया) अभिलेखों मैं उसका नाम अशोक मिलता है
"देवानामप्रियदर्शी" (देवताओं का प्रिय राजा) के नाम से जाना जाता है।
 अशोक ने बौद्ध धर्म का अत्यधिक प्रचार प्रसार किया।
• बौद्धविहारों, मठों, स्तूपों, शिलालेखों का निर्माण करवाया।
 अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजा।
 अशोक पहले जैन धर्म का अनुयायी था किंतु जीवन के अंतिम वर्षों में उसने बौद्ध धर्म अपना लिया।
• अशोक ने उपगुप्त से जैन धर्म की दीक्षा ली थी।
अशोक ने 13 शिलालेखों का निर्माण करवाया।
• 13वें शिलालेख में कलिंग युद्ध का वर्णन मिलता है।

 मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने करके शुंग वंश की स्थापना की ।




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