मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण
मौर्य वंश के पतन के कारण
चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य प्राचीन काल में सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसमें प्राचीन भारत का अधिकांश भाग सम्मिलित था। अशोक के कलिंग विजय के उपरांत मौर्य साम्राज्य और विस्तृत हो गया किंतु अशोक के शासनकाल के समाप्त होने के साथ ही 232 ई.पू. से मौर्य साम्राज्य का पतन होने लगा।
मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण :-
(1) बौद्ध धर्म एवं अहिंसा का अत्यधिक प्रचार प्रसार - कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक के हृदय परिवर्तन हो जाने से अशोक ने भेरीघोष की जगह धम्मघोष का मार्ग अपना लिया । उसने अहिंसा का मार्ग अपनाया अपने स्वयं के महल में बनने वाले मोर के मांस पर उसने रोक लगा दी । साथ ही अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए पशुबलि पर रोक लगा दी । यज्ञ विधान पर रोक लगा दी जिससे ब्राह्मणों की आय में कमी आ गई ।उस समय तक यज्ञ ही ब्राह्मणों के जीवनयापन का प्रमुख साधन होते थे इसलिए अशोक की नीति में सहिष्णुता होते हुए भी ब्राह्मणों में अशोक के प्रति विद्रोह की भावना जन्म लेने लगी। ब्राह्मण वर्ग मौर्य वंश का दुश्मन बन गया इसका प्रमाण इस बात से देखा जा सकता है कि मौर्य वंश के अंतिम शासक वृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी जो कि एक ब्राह्मण था। मौर्य साम्राज्य के बाद आने वाले शुंग ,कण्व सातवाहन क्रमश: ब्राह्मण थे।
(2) आर्थिक संकट - प्राचीन काल में सबसे बड़ी प्रशासनिक व्यवस्था मौर्य काल में ही देखने को मिलती है इतनी बड़ी सेना के खर्चे और रखरखाव के लिए अत्यधिक धन की आवश्यकता होती थी जिस कारण प्रजा पर अनेक प्रकार के कर लगाए जाते थे। इन करों की सूची हमें अर्थशास्त्र से प्राप्त होती है। इतने कर लगाने के बावजूद भी मौर्य साम्राज्य को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा क्योंकि मौर्य साम्राज्य एक विशाल साम्राज्य था तथा सम्राट अशोक द्वारा धर्म प्रचार के कार्यों में अत्यधिक धन खर्च किया गया जिस कारण राजकीय कोष खाली हो गया। मौर्य वंश के अंतिम वर्षों में मौर्य शासकों को सोने की बनी देवताओं की मूर्तियों को गलाकर राज्य का संचालन करना पड़ा।
(3) प्रांतों में विद्यमान अनियमितताएं - बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला में विद्रोह हुआ जिसे अशोक ने शांत किया किंतु इसके बाद भी प्रांतों में ऐसी अनेक घटनाएं होती रहीं। प्रांतों में आमात्यों द्वारा बढ़ते अत्याचारों के कारण प्रजा अत्यधिक परेशान थी जिसका उल्लेख अशोक द्वारा अपने कलिंग शिलालेख में किया गया है। अशोक ने प्रांतों के अमात्यों का स्थानांतरण भी किया तथा स्वयं प्रजा की देखरेख हेतु धम्म यात्राएं की किंतु अशोक के शासन काल की समाप्ति के साथ ही यह अत्याचार और बढ़ गए जो संभवत: है मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण बने।
(4) नवीन ज्ञान का उदय - 16 महाजनपदों में से मगध महाजनपद अनेक भौगोलिक एवं आर्थिक कारणों से अधिक संपन्न हुआ किंतु धीरे-धीरे इन भौतिक सुविधाओं का विस्तार मध्य भारत , कलिंग एवं दक्षिण भारत में भी होने लगा । इन क्षेत्रों में भी संपन्नता आयी और नए राज्यों का उदय हुआ मध्य भारत में शुंग और कण्व तथा दक्षिण भारत में सातवाहन साम्राज्य ने जन्म लिया।
(5) पश्चिमी सीमा प्रांत के आक्रमणकारी- मौर्य वंश की अंतिम शक्तिशाली राजा अशोक ने धर्म का मार्ग अपना लिया और धर्म के प्रचार प्रसार पर ही अधिक ध्यान दिया राज्य की सुरक्षा हेतु उसने अधिक प्रयत्न नहीं किए भारत के पश्चिम में स्थित दर्रों से भारत में आसानी से प्रवेश किया जा सकता था किंतु उनकी सुरक्षा हेतु मौर्य शासकों द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया । मौर्यवंश के समानांतर चीन के शासक शीह हुआंग टी द्वारा सीथियनों से सुरक्षा हेतु महादीवाल (great Wall) का निर्माण करवाया गया।
मौर्य वंश के अंत के साथ ही पश्चिमी सीमा प्रांत से आए हिंदी यूनानी, शक , पहलव , कुषाण शासकों ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया।
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