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मध्यप्रदेश में जंगल सत्याग्रह mppsc mains 2021। दुरिया जंगल सत्याग्रह। घोड़ाडोंगरी जंगल सत्याग्रह।

          मध्यप्रदेश में सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में गांधी जी ने दांडी मार्च कर नमक सत्याग्रह प्रारंभ किया तो देश के अनेक भागो में भी कानूनों की अवज्ञा हुई । मध्यप्रदेश में  प्रमुख रुप से कई जिलों में जंगल कानून की अवज्ञा की गई और जगह-जगह जंगल सत्याग्रह हुए। दुरिया जंगल सत्याग्रह मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में दुर्गा शंकर मेहता के नेतृत्व में जंगल सत्याग्रह चलाया गया। सिवनी जिले में सरकारी जंगल में चंदन के बगीचों में घास काट कर सत्याग्रह प्रारंभ किया गया। इसी सिलसिले में सिवनी जिले के एक छोटे से गांव दुरिया में जो कि सिवनी से 28 मील की दूरी स्थित है में 9 अक्टूबर 1930 को सत्याग्रह की तारीख निश्चित की गई। सत्याग्राहियों तथा उनका समर्थन करने आए लोगों के साथ अंग्रेज अधिकारियों ने बहुत अपमानजनक व्यवहार किया जिससे जनता उत्तेजित हो गई और उन्होंने अधिकारियों का विरोध किया। सिवनी के डिप्टी कमिश्नर ने पुलिस को हुक्म दिया- "Teach them a lesson" और पुलिस ने गोलियां चला दीं और चार आदिवासी गुड्डोंदाई, बेमाबाई ,रैना बाई ,विरजू गोंड शहीद हो गए ।इन शहीदों के पार्थिव शर...

खिलजी वंश की स्थापना किसने की। khilji vansh Khilji vansh ki isthapana kisne ki। अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था । खिलजी वंश का संस्थापक कौन था।

1286 ईस्वी में बलबन की मृत्यु के पश्चात दिल्ली में कुछ समय अव्यवस्था बनी रही। बलबन द्वारा शहजादा मोहम्मद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया गया था जो मंगोलों के साथ युद्ध करते हुए मारा गया। बलबन के दूसरे पुत्र बुगरा खान ने दिल्ली के स्थान पर बंगाल और बिहार पर शासन करना पसंद किया। अंत में अमीर तुर्कों द्वारा बलबन के पोते को दिल्ली के तख्त पर बैठाया गया जो आयु में बहुत छोटा एवं अनुभवहीन था। आयु में छोटा एवं अनुभवहीन होने के कारण वह दिल्ली की स्थिति को संभाल नहीं सका।  इसके साथ ही कुतुबुद्दीन ऐबक के समय से उच्च पदों पर अमीर तुर्की सरदारों का एकाधिपत्य रहा जिससे अन्य मुस्लिम एवं अन्य धर्म के लोग में इसके प्रति नाराजगी व्याप्त थी और उसका कड़ा विरोध होना प्रारंभ हो गया।  गैर तुर्क मुस्लिमों में तुर्कों के प्रति काफी असंतोष हुआ तथा जिसके प्रतिफल के रूप में यह देखा गया कि खिलजी वंश ने गुलाम वंश को नष्ट कर खिलजी वंश की स्थापना की ।  खिलजी, मोहम्मद गौरी के समय भारत आए थे उन्हें कभी भी उच्च पद नहीं दिये गए खिलजी सामान्य सैनिकों की भाँति तुर्कों की सेना में शामिल हुआ करते थे।  ...

बलबन कौन था ? बलबन की लौह और रक्त की नीति को समझाइए ?

1240 ईस्वी में रजिया की मृत्यु के पश्चात बहरामशाह शासक बना। बहरामशाह ने 1240-1242 तक शासन किया तत्पश्चात महमूदशाह शासक बना। महमूद शाह के पश्चात नासिरुद्दीन महमूद शासक बना। रजिया के पश्चात बनने वाले प्रमुख शासक मुईजुद्दीन बहरामशाह  (1240-42)  अलाउद्दीन महमूद शाह  (1242-46)  नसीरूद्दीन महमूद (1246-1266)   इन सभी शासकों ने कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया ना ही किसी विशाल साम्राज्य की स्थापना की इन सभी के पश्चात एक प्रमुख शासक आया जिसे गयासुद्दीन बलबन के नाम से जाना जाता है।  >  बलबन 1246-1266 ई. तक इल्तुतमिश के छोटे बेटे नासिरुद्दीन महमूद का नायाब रहा।  > बलबन ने 20 साल तक नायाब के रूप में और 20 साल तक सुल्तान के रूप में शासन किया।  > बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिररुद्दीन महमूद से किया और शासन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ली।  > अमीर  तुर्क सरदार बलबन को पसंद नहीं करते थे इसलिए उन्होंने बलबन के विरुद्ध एक षड्यंत्र रचा और बलबन को उसके नायाब के पद से हटाकर इमादुद्दीन रेहान नाम के एक भारतीय मुसलमान को नायाब के पद पर...

कुतुबुद्दीन ऐबक। kutubuddin Ebak। गुलाम वंश का संस्थापक। # mppsc # bpsc#upsc

कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का दास था जिसने 1206 ईस्वी में गुलाम वंश की स्थापना की। कुतुबुद्दीन ऐबक को गुलाम वंश के संस्थापक के रूप में जाना जाता है।  कुतुबुद्दीन ऐबक > कुतुबुद्दीन ऐबक तुर्क जनजाति से संबंधित था।  > कुतुबुद्दीन ऐबक को बचपन में निशापुर के एक काजी से खरीदा गया था।  > कुतुबुद्दीन ऐबक ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।  > कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की किंतु उसने कभी भी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की।  > कुतुबुद्दीन ऐबक ने  " अढ़ाई दिन के झोपड़े "   का निर्माण करवाया जो पहले एक हिंदू मंदिर( विष्णु भगवान) हुआ करता था।  > कुतुबुद्दीन ऐबक ने क़ुतुबमीनार की नींव रखी किंतु पूरा नहीं करवा सका। बाद में इल्तुतमिश ने कतुबमीनार के कार्य को पूरा कराया।  > कुतुब मीनार का निर्माण कार्य कुतुबुद्दीन ऐबक ने सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर करवाया।  > कुतुबुद्दीन ऐबक लाखों का दान दिया करता था। उसकी दान देने की इस प्रवृत्ति के कारण  उसे लाखबख्श कहा जाता था।  > कुतुबुद्दीन...

इल्तुतमिश कौन था।। इल्तुतमिश का इतिहास। iltutamish

  1210 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक की पोलो खेलते समय घोड़े से गिरने के कारण मृत्यु हो जाती है तब उसका पुत्र आरामशाह शासक बनता है किंतु वह अयोग्य होता है । इसलिए अमीर तुर्कों द्वारा कुतुबुद्दीन ऐबक के दास तथा दामाद इल्तुतमिश को शासन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इल्तुतमिश ने आरामशाह को पराजित कर दिल्ली पर अपना शासन कायम किया इल्तुतमिश एक योग्य शासक था।  इल्तुतमिश से संबंधित प्रमुख तथ्य -   • इल्तुतमिश  1210 ईस्वी में शासक बना।  ( Note - कुछ स्थानों पर इल्तुतमिश का शासनकाल 1211 ईस्वी से बताया जाता है क्योंकि अल्पसमय के लिए कुतुबुद्दीन ऐबक के पुत्र आरामशाह ने शासन किया था)  • इल्तुतमिश को गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है क्योंकि इसने गुलामवंश में लंबे समय तक शासन किया तथा साम्राज्य को सुदृढ़ता प्रदान की।   •  इल्तुतमिश ,कुतुबुद्दीन ऐबक का दास तथा दामाद था।  • इल्तुतमिश ने लाहौर के स्थान पर दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की थी किंतु उसने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं क...

रजिया सुल्तान in hindi ।। दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाली प्रथम महिला एवं मुस्लिम शासिका। Rajiya sultan। # upsc#mppsc#bpsc#ssc

इल्तुतमिश की मृत्यु के पश्चात 1236 ईसवी में उसकी पुत्री रजिया गद्दी पर बैठी भारतीय इतिहास में यह पहली बार था कि किसी शासक की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्रों के जीवित होते हुए भी पुत्री शासिका बनी हो । हालांकि इससे पहले भी प्राचीन मिस्र और ईरान में महिलाएं शासन कर चुकी थीं किंतु उन्होंने या तो संरक्षिका के रूप में शासन किया था या राजा की मृत्यु के पश्चात शासन किया किसी ने भी पुत्रों के होते हुए भी शासन नहीं किया। पुत्रों के होते हुए भी पुत्री को शासन पर बैठाना मध्यकालीन इतिहास की एक नई घटना थी।  रजिया दिल्ली पर शासन करने वाली प्रथम महिला एवं प्रथम मुस्लिम शासिका थी इल्तुतमिश ने अपने पुत्रों के स्थान पर रजिया को शासन का कार्यभार सौंपा क्योंकि रजिया अपने भाइयों की तुलना में बहुत अधिक योग्य थी एवं शासन का प्रबंध भलीपूर्वक कर सकती थी।  इल्तुतमिश की मृत्यु के पश्चात जब रजिया गद्दी पर बैठे तो अनेक लोगों ने इस बात का विरोध किया। कुछ इतिहासकारों का कहना है की रजिया गद्दी पर बैठे यह इच्छा इल्तुतमिश की नहीं थी बल्कि यह रजिया और उसके समर्थकों द्वारा बनाई गई एक कहानी है । इस बात का सम...

अकबर के प्रमुख निर्माण कार्य एवं सुधार। akbar ke pramukh karya

अकबर द्वारा साम्राज्य में शांति व्यवस्था स्थापित करने हेतु धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई गई ।अकबर को इतिहास में एक महान शासक के रूप में जाना जाता है इसका प्रमुख कारण यह था कि अकबर ने न केवल इस्लाम धर्म बल्कि सभी धर्मों का आदर किया एवं सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार प्रदान किया सभी को समान अधिकार प्रदान करने के लिए अकबर द्वारा समय-समय पर अनेक सुधार किए गए।  अकबर द्वारा किए गए प्रमुख सुधार- #अकबर द्वारा किए गए प्रमुख सामाजिक सुधार •  अकबर ने 1562 में  दास प्रथा पर प्रतिबंध लगाया ।   • बहुविवाह पर रोक लगाई एवं विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दिया । अकबर ने बैरम खां की विधवा सलीमा बेगम से विवाह किया जो उसकी चचेरी बहन भी थी।  Note - अकबर ने बहु विवाह पर रोक लगाने का प्रयत्न किया किंतु उसने स्वयं अनेक विवाह कर रखी थी इस कारण प्रजा द्वारा उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया।  •  अकबर ने बाल विवाह पर रोक लगाई तथा प्रथम बार महिलाओं एवं पुरुषों की विवाह संबंधी आयु का निर्धारण किया उसने विवाह हेतु महिलाओं की आयु 14 वर्ष एवं पुरुषों की आयु 16 वर्ष निर्ध...