इल्तुतमिश कौन था।। इल्तुतमिश का इतिहास। iltutamish

 1210 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक की पोलो खेलते समय घोड़े से गिरने के कारण मृत्यु हो जाती है तब उसका पुत्र आरामशाह शासक बनता है किंतु वह अयोग्य होता है । इसलिए अमीर तुर्कों द्वारा कुतुबुद्दीन ऐबक के दास तथा दामाद इल्तुतमिश को शासन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इल्तुतमिश ने आरामशाह को पराजित कर दिल्ली पर अपना शासन कायम किया इल्तुतमिश एक योग्य शासक था। 

इल्तुतमिश से संबंधित प्रमुख तथ्य -  

इल्तुतमिश 1210 ईस्वी में शासक बना। 
( Note - कुछ स्थानों पर इल्तुतमिश का शासनकाल 1211 ईस्वी से बताया जाता है क्योंकि अल्पसमय के लिए कुतुबुद्दीन ऐबक के पुत्र आरामशाह ने शासन किया था) 

इल्तुतमिश को गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है क्योंकि इसने गुलामवंश में लंबे समय तक शासन किया तथा साम्राज्य को सुदृढ़ता प्रदान की।
 
•  इल्तुतमिश ,कुतुबुद्दीन ऐबक का दास तथा दामाद था। 

इल्तुतमिश ने लाहौर के स्थान पर दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। 

कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की थी किंतु उसने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की थी। इल्तुतमिश गुलाम  वंश का वह प्रथम शासक था जिसने सुल्तान की उपाधि धारण की। 

कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा जिस कुतुबमीनार की नींव रखी गई थी उसे इल्तुतमिश ने पूरा करवाया।

 इल्तुतमिश ने इक्ता प्रथा की शुरुआत की। इक्ता प्रथा में नगद वेतन के स्थान पर भूमि दी जाती थी। 

इल्तुतमिश इलबारी तुर्क था इसलिए इस वंश को इलबारी वंश के नाम से भी जाना जाता है। 



इल्तुतमिश के शासनकाल के प्रमुख युध्द और घटनाएं -

इल्तुतमिश  के शासक  बनने के  साथ ही  उसे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। साम्राज्य के अनेक हिस्सों में शासक अपने आप को घोषित करने लगे। इल्तुतमिश इस ओर अधिक ध्यान नहीं दे सका क्योंकि उसका सर्वाधिक ध्यान पश्चिम की ओर अपने राज्य को सुरक्षित करने में रहा क्योंकि उस समय भारत के पश्चिम में ख्वारिज्मी साम्राज्य का शासन था और ख्वारिज्मी साम्राज्य को समाप्त कर मंगोलों ने पश्चिमी भाग पर अधिकार कर लिया था जिससेे भारत के ऊपर भी मंगोलों का खतरा बढ़ता जा रहा था। 

• बंगाल और बिहार के एक शासक अली मरदान खान ने स्वयं को बंगाल और बिहार का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया।
 
• कुतुबुद्दीन ऐबक के एक गुलाम  कुबाचा ने भी स्वयं को मुल्तान का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया और लाहौर एवं पंजाब के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया। 

• राजपूतों ने भी कालिंजर ,ग्वालियर ,अजमेर, राजस्थान से तुर्कों का सफाया कर स्वयं का शासन कायम कर लिया। 

इल्तुतमिश ने मेवाड़ की राजधानी नागदा पर भी आक्रमण किया किंतु उसे पराजित होना पड़ा इसके अतिरिक्त गुजरात के चालूक्यो के विरुद्ध भी अभियान चलाया किंतु उसे हार का सामना करना पड़ा। 

• इल्तुतमिश के पुत्र ने 1226-27 ईसवी में बंगाल और बिहार पर आक्रमण किया उस समय वहां ईवाज नाम का एक शासक शासन कर रहा था । इवाज एक योग्य एवं उदार शासक था। इस युद्ध में इवाज की हार हुई इल्तुतमिश के पुत्र ने उसकी हत्या कर दी । इस प्रकार बंगाल और बिहार पर पुनः दिल्ली सल्तनत का राज हो गया। 

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