खिलजी वंश की स्थापना किसने की। khilji vansh Khilji vansh ki isthapana kisne ki। अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था । खिलजी वंश का संस्थापक कौन था।

1286 ईस्वी में बलबन की मृत्यु के पश्चात दिल्ली में कुछ समय अव्यवस्था बनी रही। बलबन द्वारा शहजादा मोहम्मद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया गया था जो मंगोलों के साथ युद्ध करते हुए मारा गया। बलबन के दूसरे पुत्र बुगरा खान ने दिल्ली के स्थान पर बंगाल और बिहार पर शासन करना पसंद किया। अंत में अमीर तुर्कों द्वारा बलबन के पोते को दिल्ली के तख्त पर बैठाया गया जो आयु में बहुत छोटा एवं अनुभवहीन था। आयु में छोटा एवं अनुभवहीन होने के कारण वह दिल्ली की स्थिति को संभाल नहीं सका। 

इसके साथ ही कुतुबुद्दीन ऐबक के समय से उच्च पदों पर अमीर तुर्की सरदारों का एकाधिपत्य रहा जिससे अन्य मुस्लिम एवं अन्य धर्म के लोग में इसके प्रति नाराजगी व्याप्त थी और उसका कड़ा विरोध होना प्रारंभ हो गया। 

गैर तुर्क मुस्लिमों में तुर्कों के प्रति काफी असंतोष हुआ तथा जिसके प्रतिफल के रूप में यह देखा गया कि खिलजी वंश ने गुलाम वंश को नष्ट कर खिलजी वंश की स्थापना की । 
खिलजी, मोहम्मद गौरी के समय भारत आए थे उन्हें कभी भी उच्च पद नहीं दिये गए खिलजी सामान्य सैनिकों की भाँति तुर्कों की सेना में शामिल हुआ करते थे।
 
जिस प्रकार बलबन , नासिरुद्दीन महमूद के बेटे को दरकिनार करके शासक बना उससे यह स्पष्ट हो गया कि यदि किसी व्यक्ति को कुलीनो का समर्थन प्राप्त हो तो वह आसानी से सुल्तान बन सकता है। इन सब घटनाओं की पुनरावृत्ति करते हुए जलालुद्दीन खिलजी ने भी अपने पक्ष में कुलीनो का एक दल तैयार किया और गुलाम वंश को समाप्त कर खिलजी वंश(1290-1320) की स्थापना की। 

जलालुद्दीन खिलजी ( 1290-1296) 
• 1290 ईस्वी में जलालुद्दीन खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की। 
जलालुद्दीन खिलजी 70 वर्ष की आयु में सुल्तान बना उसका राज्याभिषेक किलसोरी के महल में हुआ था। 
• जलालुद्दीन खिलजी ने 1296 ईस्वी में अपने भतीजे  अलाउद्दीन खिलजी को देवगिरी के अभियान पर भेजा। 
जलालुद्दीन खिलजी ने 6 वर्ष तक शासन किया। 
जलालुद्दीन खिलजी में पहला शासक था जो जनता के समर्थन के आधार पर साम्राज्य की स्थापना करना चाहता  था।
उसने सहिष्णुता की नीति अपनाई और दंड विधान में कठोरता को समाप्त करने का प्रयत्न किया किंतु उसकी इस नीति को उसके कुछ समर्थक तथा अन्य लोग एक कमजोर नीति मानते थे। 
• मृत्यु -1296 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा कड़ा में जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर दी गई। 


अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) 
अलाउद्दीन खिलजी ने सिकंदर-ए-सानी (द्वितीय सिकंदर) की उपाधि धारण की। 
1296 ईस्वी में अपने चाचा एवं ससुर जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर अलाउद्दीन खिलजी शासक बना। 
 शासक बनने से पूर्व अलाउद्दीन खिलजी अवध का सूबेदार था। 
अलाउद्दीन खिलजी जब देवगिरी के अभियान पर गया हुआ था तो उसने वहां भीषण नरसंहार किया तथा बहुत सोना-चांदी धनसंपदा लूटी जिसकी लालच में जलालुद्दीन खिलजी अपने भतीजे से मिलने गया । जहां अलाउद्दीन खिलजी ने उसकी हत्या कर दी तथा अन्य सैनिकों को सोने-चांदी का लालच देकर अपनी ओर कर लिया। किंतु बाद में उसने सभी को दिया गया सोना चांदी जप्त कर लिया और उनकी हत्या करवा दी। 
अलाउद्दीन खिलजी ने ना केवल अपने विरोधियों को बल्कि उनके बच्चों को भी कठोर सजाएंगे जो इससे पूर्व किसी अन्य शासक ने नहीं किया था। 

अलाउद्दीन खिलजी ने अमीरों द्वारा उसके विरुद्ध किए जा रहे हैं यंत्रों को रोकने के लिए अन्य नियम बनाए जो इस प्रकार है :-

(1) उसने भोज या समारोह आयोजित करने पर और सुल्तान की अनुमति के बगैर विवाह संबंध स्थापित करने पर रोक लगा दी।

(2) अलाउद्दीन खिलजी ने शराबनशीली वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगा दी क्योंकि ऐसे स्थानों पर ही लोग एकत्रित होते थे और सुल्तान के विरुद्ध षड्यंत्र करते थे।

(3) अपनी विरुद्ध की जा रही गतिविधियों का पता लगाने के लिए उसने जगह-जगह जासूसों की नियुक्ति की। 

अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण व्यवस्था लागू की इस व्यवस्था के अंतर्गत वस्तुओं के मूल्य उसके संपूर्ण शासनकाल में लगभग एक समान बने रहे।
अलाउद्दीन खिलजी ने एक स्थायी सेना रखी तथा सेना को नगद वेतन देना प्रारंभ किया क्योंकि सेना नियमित थी और उसे अलग-अलग जगह पर जाकर युद्ध करने पड़ते थे इन परिस्थितियों का फायदा उठाकर स्थाई जमीदार एवं दुकानदार अपने वस्तुओं के मूल्य बढ़ा देते थे इस समस्या का सामना करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण व्यवस्था लागू की। 
अलाउद्दीन ने अनाज, शक्कर, भोजन पकाने के तेल, सुई, कीमती कपड़ों से लेकर गुलामों तक के दाम तय कर दिए । 

अलाउद्दीन खिलजी द्वारा स्थापित प्रमुख बाजार :-
• खाद्यान्न बाजार
• निर्मित वस्तु बाजार
• दैनिक वस्तुओं बाजार 
• पशु-गुलाम बाजार
इन बाजारों की देखरेख करने के लिए शहना नाम के एक उच्च अधिकारी की नियुक्ति की गई जो सौदागरों का रजिस्टर रखता था एवं दुकानदारों व कीमतों पर सख्त नियंत्रण रखता  था। 
बरनी के अनुसार  :- अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में अनाजों की कीमतों में स्थिरता बनी रही जो उस समय की एक आश्चर्यजनक घटना है। 

सैन्य सुधार
अलाउद्दीन खिलजी ने स्थायी सेना रखें एवं सेना को नगद वेतन देना प्रारंभ किया। 
• सैनिकों का हुलिया लिखने एवं घोड़े दागने की प्रथा प्रारंभ हुई। 

अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य विस्तार :-
अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात रणथंबोर , बंगाल  एवं दक्षिण भारत का अभियान चलाया। 
• गुजरात अभियान के दौरान उसे मलिक काफूर मिला जो कि उसका विश्वासपात्र बन गया और उसके बाद के युद्ध में मलिक काफूर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
• मलिक काफूर ने 1507 में दक्षिण भारत का अभियान किया और वहां के शासक रामचंद्र देव को पराजित किया। 
मलिक काफूर हजार दीनार में खरीदा गया था इसलिए उसे हजार दिनारी के नाम से भी जाना जाता है। 
अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति जफर खान मंगोलों के विरुद्ध युद्ध करते हुए मारा गया। 
अलाउद्दीन खिलजी के समय मंगोलों ने दिल्ली सल्तनत पर सर्वाधिक आक्रमण किये। 

अलाउद्दीन खिलजी के प्रमुख निर्माण कार्य -
  1. अलाई का दरवाजा
  2. सीरी का किला
  3. जम्बेत खान मस्जिद
  4. हजार खंभा महल


संबंधित ग्रंथ 
पद्मावत - मलिक मोहम्मद जायसी

मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित पद्मावत ग्रंथ में राजा रतन सिंह की पत्नी पद्मावती का उल्लेख मिलता है जिसमें यह बताया गया है कि अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती के सौंदर्य से प्रभावित होकर उन्हें पाने के प्रयत्न में राजा रतन सिंह से युद्ध किया। जब रानी  को यह आभास हुआ कि राजा रतन सिंह की सेना पराजित होने वाली है तो उन्होंने अपनी महल की महिलाओं सहित अग्नि कुंड में जौहर कर लिया। 


मुबारक शाह - अलाउद्दीन खिलजी के पश्चात भारत का शासक बना जिसे इतिहास में आयोग एवं पागल शासक कहा जाता है। 

नासिरुद्दीन खुसरो खाँ - नसीरुद्दीन खुसरो का इस वंश का अंतिम शासक था जो धर्म परिवर्तन करके सुल्तान बना था नासिरुद्दीन खुसरो का पहले हिंदू हुआ करता था जो  इस्लाम धर्म अपनाकर सुल्तान बना। 








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