अकबर से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य ll important facts about akbar

परिचय:-
• जन्म - हुमायूं के शासन के निर्वासित काल में अमरकोट के हिंदू राजा वीर साल के यहां अकबर का जन्म हुआ। 
पिता - हुँमायूं
• माता - हमीदा बानो बेगम
• राज्यअभिषेक - दीनपनाह के पुस्तकालय से गिरने के कारण हुमायूं की मृत्यु के पश्चात 14 फरवरी 1556 में महज 13 वर्ष 4 माह की उम्र में कालानौर पंजाब में अकबर का राज्याभिषेक हुआ। 
संरक्षक एवं वजीर - शासक बनने के समय अकबर की उम्र बहुत कम थी इसलिए अकबर के शासन काल के प्रारंभिक वर्षों में बैरम खाँ उसके संरक्षक एवं वजीर के रूप में कार्य किया अकबर बैरम खां को खान बाबा कहकर संबोधित करता था। 
अकबर से संबंधित प्रमुख पुस्तक - अकबर के जीवन के ऊपर उसके दरबारी कवि अबुल फजल द्वारा एक पुस्तक लिखी गई जिसे अकबरनामा के नाम से जाना जाता है इस के तीसरे अध्याय को आईने अकबरी के नाम से जाना जाता है। 

# बैरम खान के संरक्षण का काल
अकबर मां की 13 वर्ष 4 माह की उम्र में शासक बना इस समय उसकी आयु बहुत कम थी इसलिए बैरम खाँ उसके संरक्षक के रूप में कार्य किया । अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों में अकबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध में बैरम खां का योगदान प्रमुख रूप से रहा। 
बैरम खान 1556 से 1560 तक अकबर के संरक्षक के रूप में कार्य करता रहा। 

# पानीपत का तृतीय युद्ध (5 नवंबर 1556) 
14 फरवरी 1556 में कलानौर पंजाब में अकबर का राज्याभिषेक हुआ और वह बादशाह बन गया । अकबर जब पंजाब में था तब आदिलशाह की सेनापति हेमू विक्रमादित्य  ने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया और उस पर अधिकार कर लिया । उसने दिल्ली के सूबेदार तार्दीबेग को हराकर दिल्ली पर अपना शासन कायम कियाहेमराज मध्यकालीन भारत का एकमात्र हिंदू शासक था जिसने दिल्ली पर अधिकार किया था उसे इतिहास में हेमू के नाम से भी  जाना जाता है। 
हारने के उपरांत दिल्ली का सूबेदार तार्दीबेग भागकर पंजाब गया और उसने अकबर को इस बात की सूचना दी कि दिल्ली पर हेमू ने अधिकार कर लिया है और उससे जीत पाना संभव नहीं है । तार्दीबेग की नकारात्मक बातें सुनकर अकबर चिंतित हो उठा और अकबर को चिंतित देख बैरम खां ने क्रोधित होकर तार्दीबेग  की हत्या कर दी। 
अकबर ने बैरम खान के साथ मिलकर पानीपत के द्वितीय युद्ध में हेमू पर आक्रमण किया। इस युद्ध में हेमू के जीतने के पूरे कयास लगाए जा रहे थे किंतु दुर्भाग्यवश उसकी आंख में एक तीर आकर लग गया और वह हाथी से गिर पड़ा उसकी सेना  में यह अफवाह फैल गई की हेमू की मृत्यु हो गई और सेना में भगदड़ मच गई बैरम खां द्वारा हेमू का सिर कलम कर दिया गया। 
इस प्रकार पानीपत की द्वितीय युद्ध में अकबर की जीत हुई। 

# बैरम खान का पतन
अकबर का संरक्षक एवं वजीर बैरम खान अकबर के अत्यधिक निकट था तथा शासन व्यवस्था में इसका योगदान प्रमुख रूप से रहा किंतु शासन पर उसके अत्यधिक हस्तक्षेप के कारण अकबर के मन में उसके प्रति असम्मान का भाव प्रकट होने लगा । अकबर के कुछ सरदारों ने भी बैरम खां के विरुद्ध अकबर को भड़काने का कार्य किया क्योंकि बैरम खान सिया था जबकि अधिकांश मुगल सुन्नी थे। इसके अतिरिक्त अकबर की धाय माँ महाम अनगा ने भी अकबर को बैरम खां के विरुद्ध करने का प्रयास किया स्वयं अकबर में भी यह एहसास किया की अनेक अवसरों पर बैरम खां अकबर की इच्छा को अनदेखा करते हुए अपने अनुसार निर्णय लेता है जबकि अकबर अब वयस्क हो चुका था और वह साम्राज्य का बादशाह था इसलिए बैरम खां का इस प्रकार हस्तक्षेप करना उसे पसंद नहीं था। 
अकबर ने बैरम खां को मक्का जाने का आदेश दे दिया किंतु बैरम खान ने अकबर के आदेश को न मानते हुए उससे  युद्ध करने का निर्णय लिया। अकबर की सेना और बैरम खान के मध्य तिलवाड़ा का युद्ध हुआ जिसमें बैरम खां पराजित हुआ इस युद्ध के पश्चात अकबर द्वारा बैरम खान के समक्ष तीन विकल्प रखे गए तथा उसे अपनी इच्छा अनुसार विकल्प में से किसी एक विकल्प को चुनने के लिए कहा गया। 
(1) बैरम खां को मक्का जाने के लिए कहा गया। 
(2) उसे किसी राज्य के सूबेदार के रूप में कार्य करने का अवसर दिया गया। 
(3) राज्य के सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य करने का अवसर दिया गया। 
चूँकि बैरम खां राज्य के सबसे बड़े पद वजीर के पद पर कार्य कर चुका था इसलिए किसी राज्य के सूबेदार के रूप में कार्य करने या राज्य के सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य करना उसे अपने सम्मान के विरुद्ध प्रतीत हुआ और उसने मक्का जाने का निर्णय लिया । मक्का जाने के क्रम में मुबारक खाँ द्वारा बैरम खान की हत्या कर दी गई। मुबारक खाँ के पिता को बैरम खान ने मछीवाड़ा के युद्ध में हराकर उनकी हत्या कर दी थी जिसका बदला मुबारक खाँ ने बैरम खान की हत्या करके लिया। 
बैरम खान की हत्या की खबर सुनते ही अकबर ने बैरम खां की विधवा पत्नी सलीमा बेगम और उनकी पुत्र रहीम को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से सलीमा बेगम से विवाह कर लिया सलीमा बेगम अकबर की चचेरी बहन थी। 
बाद में अकबर ने रहीम को अपने नवरत्नों में भी स्थान दिया और उसे खान-ए-खाना की उपाधि भी प्रदान की। 

# पर्दा शासन /पेटीकोट शासन (1560 -1564) 
अकबर के शासन काल के समय 1560-1562 या 1564 तक का समय पर पर्दा शासन या पेटीकोट शासन के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस समय शासन पर हरम दल का अत्यधिक प्रभाव था । अकबर की धाय माँ माहम अनगा उसके पुत्र आदम खान तथा पुत्री जीजी अनगा का शासन पर मुख्य रूप से प्रभाव था । आदम खान ने मालवा को लूटा तथा लूट का अधिकांश भाग अपने पास रख लिया। अकबर द्वारा आदम खान को चेतावनी दी गई तथा उससे लूट के भाग को राजकीय कोष में जमा कराने का आदेश दिया गया किंतु आदम खाने अकबर की बात नहीं मानी और अकबर के विरुद्ध षड्यंत्र करना प्रारंभ कर दिया। जिसकी जानकारी होने पर अकबर ने आदम खान को मृत्युदंड दिया आदम खान की मृत्यु के कुछ समय पश्चात ही 1562 में माहम अनगा की भी मृत्यु हो गई और 1564 तक पर्दा शासन का अंत हो गया। 

# अकबर का साम्राज्य विस्तार 
अकबर मध्यकालीन भारत के एक महान एवं प्रतापी शासक के रूप में जाना जाता है उसने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए अनेक युद्ध किए इसके साथ ही उसने वैवाहिक संबंधों एवं मैत्री संबंधों द्वारा भी अपने राज्य का विस्तार किया। 
अकबर के द्वारा अपने साम्राज्य में में सम्मिलित किए गए प्रमुख राज्य निम्नलिखित हैं -

• मालवा - 1561 में अकबर की सेना ने आदम खाँ के नेतृत्व में मालवा के शासक बाज बहादुर पर आक्रमण किया तथा बाज बहादुर को पराजित कर सारंगपुर पर अधिकार कर लिया। इस युद्ध में मुगल सेना द्वारा अत्यधिक धन लूटा गया। मुगलों से अपनी रक्षा करने हेतु बाजबहादुर की पत्नी रानी रूपमती ने स्वयं अपने जीवन को समाप्त कर लिया युद्ध के पश्चात आदम खाँ ने लूट का अधिकांश भाग अपने पास ही रखा था। बाद में बाज बहादुर को अकबर द्वारा अपने शासन व्यवस्था में सम्मिलित कर लिया गया। 

• चुनार विजय -आसफ खाँ 1561 में चुनार के किले पर  कब्जा कर लिया। 

गोंडवाना रियासत पर आक्रमण,1564- गोंडवाना मध्य प्रदेश में स्थित एक प्रमुख रियासत हुआ करती थी जहां अनेक गोंड राजाओं ने शासन किया। अकबर के शासन काल के समय गोंडवाना पर रानी दुर्गावती अपने अल्प वयस्क पुत्र वीर नारायण की संरक्षिका के रूप में शासन कर रहीं थीं । गोंडवाना अपनी संपन्नता के लिए काफी प्रसिद्ध था। मुगल सेना ने आसफ खाँ के नेतृत्व में गोंडवाना रियासत पर आक्रमण किया गया इस युद्ध में रानी दुर्गावती वीरता पूर्वक लड़ी किंतु जब उन्होंने देखा कि उनका बच पाना संभव नहीं है तो उन्होंने वीरांगनाओं की गौरवशाली परंपरा का अनुसरण करते हुए स्वयं अपनी तलवार से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। 

# आमेर /जयपुर - आमेर के राजा भारमल (बिहारीमल) ने अकबर से युद्ध किए बिना ही अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली तथा अपनी पुत्री हरकाबाई जिन्हें इतिहास में जोधा बाई के नाम से जाना जाता है का विवाह अकबर से कर दिया।
हरका बाई का विवाह अकबर के साथ करने के साथ ही उन्होंने अपने पुत्र भगवान दास के पुत्र मानसिंह को भी अकबर के दरबार में भेजा जिन्हें बाद में अकबर द्वारा उच्च पद पर नियुक्त किया गया मानसिंह भारमल के पुत्र भगवानदास के पुत्र थे। मानसिंह ने अनेक युद्धों में अकबर को विजय दिलवाई। 

# मेवाड़ - अकबर के शासन काल के समय मेवाड़ के राजा, राणा उदयसिंह थे ।1567 में अकबर ने मेवाड़ पर आक्रमण किया। 1572 में महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक बने जो उदयसिंह के पुत्र थे
महाराणा प्रताप एक बहुत ही प्रतापी शासक थे 1576 ईस्वी में मुगल सेना और महाराणा प्रताप के मध्य " हल्दीघाटी का युद्ध " हुआ। युद्ध के पश्चात मेवाड़ पर कुछ समय के लिए मुगलों का अधिकार हो गया किंतु कुछ समय पश्चात की महाराणा प्रताप ने पुनः मेवाड़ को जीत लिया इस प्रकार महाराणा प्रताप के जीवित रहते मुगल मेवाड़ पर अधिकार नहीं कर सके । 1597 में महाराणा प्रताप की मृत्यु के पश्चात अमर सिंह मेवाड़ का शासक बना। 
स्वयं अकबर ने भी महाराणा प्रताप की प्रशंसा की है।

# गुजरात विजय - अकबर द्वारा 1572 में गुजरात पर आक्रमण किया गया और सूरत को जीत लिया गया । गुजरात विजय के उपलक्ष्य में अकबर ने फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा का निर्माण करवाया 1573 में उन्हें गुजरात के विद्रोह को दबाया। 

# बिहार-बंगाल पर विजय - दाऊद खान के विरुद्ध मुनीम खान एवं अकबर ने आक्रमण कर इस क्षेत्र को जीत लिया। 

# दक्षिण भारत पर विजय - दक्षिण भारत की ओर अकबर ने खानदेश ,दौलताबाद, अहमदनगर, असीरगढ़ पर विजय प्राप्त की । अहमदनगर का नेतृत्व चांदबीबी द्वारा किया गया।

असीरगढ़ का अभियान अकबर का अंतिम विजय अभियान माना जाता है अकबर ने 1601 में असीरगढ़ पर आक्रमण किया था। 

 
सन् 1605 ई. में अकबर की मृत्यु हो जाती है और उसे आगरा के सिकंदरा में दफनाया जाता है । अकबर का मकबरा सिकंदरा में स्थित है। 





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