अकबर के प्रमुख निर्माण कार्य एवं सुधार। akbar ke pramukh karya

अकबर द्वारा साम्राज्य में शांति व्यवस्था स्थापित करने हेतु धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई गई ।अकबर को इतिहास में एक महान शासक के रूप में जाना जाता है इसका प्रमुख कारण यह था कि अकबर ने न केवल इस्लाम धर्म बल्कि सभी धर्मों का आदर किया एवं सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार प्रदान किया सभी को समान अधिकार प्रदान करने के लिए अकबर द्वारा समय-समय पर अनेक सुधार किए गए। 
अकबर द्वारा किए गए प्रमुख सुधार-

#अकबर द्वारा किए गए प्रमुख सामाजिक सुधार

• अकबर ने 1562 में दास प्रथा पर प्रतिबंध लगाया ।
 
• बहुविवाह पर रोक लगाई एवं विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दिया । अकबर ने बैरम खां की विधवा सलीमा बेगम से विवाह किया जो उसकी चचेरी बहन भी थी। 
Note - अकबर ने बहु विवाह पर रोक लगाने का प्रयत्न किया किंतु उसने स्वयं अनेक विवाह कर रखी थी इस कारण प्रजा द्वारा उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। 

• अकबर ने बाल विवाह पर रोक लगाई तथा प्रथम बार महिलाओं एवं पुरुषों की विवाह संबंधी आयु का निर्धारण किया उसने विवाह हेतु महिलाओं की आयु 14 वर्ष एवं पुरुषों की आयु 16 वर्ष निर्धारित की। 

• उसने सती प्रथा पर रोक लगाया ।
 ( भारत में सती प्रथा पर पूर्णतयः प्रतिबंध लॉर्ड विलियम बैंटिक ने     1829 ईस्वी में लगवाया । इसमें राजा राममोहन राय का विशेष     योगदान रहा) 

• अकबर ने अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन दिया । 

अकबर का मानना था कि वेश्यावृत्ति से समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है । इसलिए उसने अपने शासनकाल में वेश्यालयों को समाज से बाहर दूर के क्षेत्रों में स्थापित किया और उन्हें शैतानपुरी नाम दिया। 

अकबर ने उन सभी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का प्रयत्न किया जिनसे समाज आज भी लड़ रहा है इस प्रकार हम देख सकते हैं की अकबर अपने समय के सभी शासकों से विचारों में काफी भिन्न था यही कारण है कि उसे महान शासक कहा जाता है । अकबर ने अनपढ़ होते हुए भी इतने वर्षों तक कुशलतापूर्वक शासन किया इसका प्रमुख कारण उसकी धार्मिक सहिष्णुता की नीति एवं साहसी व्यक्तित्व था। 

# प्रमुख सैन्य सुधार
अकबर ने सैन्य व्यवस्था में सुधार लाने हेतु मनसबदारी व्यवस्था को अपनाया। 

अकबर द्वारा अलाउद्दीन खिलजी कि सैन्य व्यवस्था को अपनाया गया । उसने घोड़ा दागने एवं सैनिकों के हुलिया लिखने की प्रथा को अपनाया। 

# प्रमुख भूमि सुधार
भूमि सुधार हेतु जब्ती प्रणाली, दहशाला बंदोबस्त एवं टोडरमली व्यवस्था को अपनाया। 

# धार्मिक व्यवस्था में सुधार
अकबर द्वारा 1575 ईसवी में इबादतखाना की स्थापना की गई । जिसमें प्रारंभ में केवल इस्लाम धर्म के विद्वान ही आते थे किंतु बाद में 1578 में इबादतखाने में सभी धर्मों के प्रवेश का प्रारंभ कर दिया गया। 

1579 में अकबर ने महजर की घोषणा की जिसके अनुसार धार्मिक विवादों से संबंधित किसी भी प्रकार के निर्णय लेने का अधिकार राजा के पास आ जाता था इससे पूर्व किसी भी शासक ने महजर की घोषणा नहीं की थी । 

• अकबर द्वारा 1582 ईसवी में सभी धर्मों के सम्मिलित रूप को अपनाते हुए एक नई धर्म दीन ए इलाही की स्थापना की गई इस धर्म को केवल 18 लोगों ने ही स्वीकार किया जिनमें से हिंदू एकमात्र बीरबल था जिसने दीन-ए-इलाही को अपनाया

• विंसेंट स्मिथ ने अकबर द्वारा दीन- ए- ईलाही धर्म को चलाना उसका सबसे मूर्खतापूर्ण कार्य माना क्योंकि इसके अतिरिक्त अकबर के सभी कार्य सफल रहे किंतु दीन-ए-इलाही धर्म में उसे उस प्रकार की सफलता हासिल नहीं हुई जैसा उसने सोचा था । 


अकबर के प्रमुख निर्माण कार्य-
• आगरा का लाल किला 
इलाहाबाद का किला 
• लाहौर का किला 
• फतेहपुर सीकरी
 दीवानेखास 
पंचमहल 
• जोधा बाई का महल 
बुलंद दरवाजा 
• दिल्ली में हुमायूं का मकबरा

अकबर के दरबारी चित्रकार-
• अब्दुल समद
• दशवंत

अकबर के दरबार के प्रमुख संगीतकार-
• तानसेन
• बैजू बावरा

प्रमुख व्यक्तित्व जो अकबर के समकालीन थे-
तुलसीदास , बाबा रामदास , बाज बहादुर। 



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बलबन कौन था ? बलबन की लौह और रक्त की नीति को समझाइए ?

muhmmad-bin-tuglak ki bhulein। मुहम्मद-बिन-तुगलक के असफल प्रयोग।

मौर्याकाल की प्रशासनिक व्यवस्था। मौर्यकालीन प्रशासन। mauryakal ka prashasan। कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत