mp ki nadiya / मध्य प्रदेश की नदियां

                   मध्यप्रदेश का अपवाह तंत्र

प्रायद्वीपीय भारत में सर्वाधिक नदियां मध्य प्रदेश से निकलती है। मध्य प्रदेश से निकलकर यह नदियाँ अन्य राज्यों में भी प्रवेश करती है। अधिकांश नदियाँ मध्य प्रदेश से निकल कर अन्य राज्यों में प्रवेश कर जाती हैं इस कारण मध्य प्रदेश को नदियों का मायका भी कहते हैं। 
   मध्य प्रदेश के अपवाह तंत्र को 6 भागों में विभाजित किया गया है। 

     बंगाल खाड़ी तंत्र                  खंभात खाड़ी तंत्र

  1. गंगा नदी तंत्र                       1. नर्मदा नदी तंत्र
  2. महानदी तंत्र                        2. ताप्ती नदी तंत्र
  3. गोदावरी तंत्र                        3. माही नदी तंत्र


अरेबियन शाखा - अरेबियन शाखा के अंतर्गत वे नदियाँ आती हैं जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई अरब सागर में गिरती है। 
            1. नर्मदा
            2. ताप्ती
            3. माही

बंगाल की खाड़ी शाखा - बंगाल की खाड़ी शाखा के अंतर्गत वे नदियाँ आती हैं । जो पश्चिम से पूर्व की ओर बहती बंगाल की खाड़ी में अपना मुहाना बनाती हैं। 
         1. सोन
         2. चम्बल
         3. बेतवा
         4. क्षिप्रा
         5. केन
         6. सिंध


नर्मदा नदी तंत्र :- इसमें नर्मदा और उस की लगभग 43 सहायक नदियाँ सम्मिलित हैं। नर्मदा की सहायक नदियों 
में 41 मध्य प्रदेश से होकर जबकि अन्य दो दूसरे राज्यों 
से निकलकर नर्मदा में मिलती हैं। 

नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की एक प्रमुख नदी है । नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है । नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक की पहाड़ियों से होता है । विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों के पूर्वी संधि स्थल मैं मैकाल पर्वत से निकलकर पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई गुजरात के भड़ोच शहर के निकट एशचुरी बनाती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है । 

नर्मदा नदी के अन्य नाम - नामोदोस, सोमोदेवी , मेकलसूता रेवा , रूद्रकन्या , बंदर कूदनी। 

नर्मदा की सहायक नदियां - नर्मदा नदी की कुल 43 सहायक नदियां हैं । जिनमें से 41 सहायक नदियां मध्यप्रदेश में पाई जाती हैं। 

बायीं सहायक नदियाँ - हिरन , तिन्दोनी , बारना , कोलार मान , उरी, हथिनी ,ओरसांग। ( कुल 22) 

दायीं सहायक नदियाँ - बरनर , बंजर , शेर , शक्कर , दूधी , तवा , गंजाल , छोटी तवा, कुन्दी , गोई , करजन। (कुल 19) 

नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के 16 जिलों से होकर बहती है जो इस प्रकार हैं - 
( 1 )  अनूपपुर 
( 2 )  डिंडोरी 
( 3 )  मंडला 
( 4 )  सिवनी 
( 5 )  जबलपुर 
( 6 ) नरसिंहपुर 
( 7 )  रायसेन 
( 8 )  होशंगाबाद 
( 9 )  सीहोर 
( 10) हरदा 
( 11 )  देवास 
( 12 ) खंडवा 
( 13 ) खरगोन 
( 14 ) धार 
( 15 ) बड़वानी 
( 16 ) अलीराजपुर

कुछ स्थानों पर जिलों की संख्या 15 बताई गई है जहां से होकर नर्मदा नदी गुजरती है। 

नर्मदा नदी से संबंधित प्रमुख तथ्य - 

नर्मदा नदी की कुल लंबाई - 1312km 
मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी की कुल लंबाई - 1077km 
नर्मदा नदी मैकल पर्वत से निकलती है इसी कारण इसे मैकलसुता भी कहा जाता है । 
कालिदास ने अपने ग्रंथ मेघदूत में नर्मदा नदी को रेवा के नाम से संबोधित किया है तथा रघुवंशम में सोनप्रभावा के नाम से संबोधित किया है। 
• स्कंद पुराण में रेवाखंड में नर्मदा नदी का वर्णन मिलता है। 
नर्मदा नदी की तुलना संगीत के वेद सामवेद से की गई है क्योंकि जब यह नदी प्रवाहित होती है तब मधुर संगीत के समान उत्पन्न करती है। 
भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवी सबसे लंबी नदी है। 
 नर्मदा नदी भारत के 3 राज्यों से होकर प्रवाहित होती है
 - मध्यप्रदेश ( 1077km) , महाराष्ट्र ( 74km ) , गुजरात ( 161km ) 
गंगा और यमुना की ही तरह नर्मदा नदी को भी 15 मई 2017 को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया गया। 
नर्मदा नदी की सवारी मगरमच्छ को कहा जाता है। 
नर्मदा नदी ओमकारेश्वर में मांधाता पहाड़ी के निकट ओंकारेश्वर द्वीप का निर्माण करती है। 
गंगा यमुना अपवाह तंत्र के बाद नर्मदा अपवाह तंत्र मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है। 
नर्मदा अपवाह तंत्र का 89.9 % क्षेत्र मध्यप्रदेश में सम्मिलित है। 
नर्मदा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत जबलपुर की लम्हेटा की पहाड़ियों से राजासौरस नामक मांसाहारी डायनासोर
की एक प्रजाति के कंकालों के अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
जिसकी खोज 1982-1984 में सुरेश श्रीवास्तव ने की 
थी।

नर्मदा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत पाषाण कालीन मानव सभ्यता के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं । सीहोर जिले के हथनोरा से भारत में अब तक के सबसे प्राचीन मानव जीवाश्म के अवशेष प्राप्त हुए हैं । इनकी खोज डॉ अरुण सोनकिया ने 5 दिसंबर 1982 में की इस मानव जीवाश्म अवशेष को नर्मदा मानव नाम दिया गया। 
नर्मदा का अपवाह तंत्र वृक्षाभ प्रणाली का है। 

 
नर्मदा नदी पर स्थित जलप्रपात -

कपिलधारा जलप्रपात (अनूपपुर) 
दूध धारा जलप्रपात (अनूपपुर) 
धुआंधार जलप्रपात (भेड़ाघाट , जबलपुर) 
दर्धी जलप्रपात (खंडवा) 
सहस्त्रधारा जलप्रपात (महेश्वर , खरगोन) 
मांधाता जलप्रपात

नर्मदा नदी के तट पर स्थित शहर -
अमरकंटक , जबलपुर , नरसिंहपुर , होशंगाबाद , निमाड़ मंडला , ओमकारेश्वर , महेश्वर , बड़वानी , झाबुआ , धार बड़वाह आदि। 

तवा नदी
• उद्गम स्थान - तवा नदी का उदगम मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले की पचमढ़ी की पहाड़ी में स्थित महादेव पर्वत की कालीभीत पहाड़ियों से होता है। 
• तवा नदी नर्मदा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। 
• मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे लंबा नदी सड़क पुल तवा नदी पर निर्मित किया गया है। जिसकी लंबाई 1322 किलोमीटर है। 
•  सहायक नदियां - मालिनी, देनबा , सुखतवा। 
•  तवा नदी पर स्थित जलप्रपात - बी फाल , अप्सरा , रजत। 

ताप्ती नदी तंत्र

• उद्गम स्थान - तापी नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई की पहाड़ियों से निकलती है। 
• महाभारत में ताप्ती नदी को सूर्य भगवान की पुत्री के रूप में बताया गया है। 
• ताप्ती नदी की लंबाई - 
कुल लंबाई  - 724 किमी। 
मध्यप्रदेश में लंबाई - 322 किमी। 
• ताप्ती नदी पश्चिम की ओर बहती हुई गुजरात में सूरत के निकट बंगाल की खाड़ी में गिरती है। 
• ताप्ती नदी भी नर्मदा की तरह ज्वारनदमुख का निर्माण करती है। 
 ताप्ती नदी के तट पर स्थित शहर - मुलताई , बुरहानपुर , सूरत। 
• ताप्ती की सहायक नदियां - पूर्णा , बाहुद , पंछरा , गिरना , बोरी , शिवा। 
• मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की संयुक्त रूप से अपर एवं लोवर ताप्ती परियोजना निर्मित की गई है। 

माही नदी तंत्र

• उद्गम स्थान -  माही नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के धार जिले के मिडा ग्राम के विंध्याचल पर्वत श्रेणी में अममाउ नामक स्थान से हुआ है। 
 माही नदी रतलाम से राजस्थान होते हुए अंत में गुजरात में प्रवेश कर खंभात की खाड़ी में गिरती है। 
• कुल लंबाई - 543 किमी। 
• माही नदी भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है। 
• नर्मदा एवं ताप्ती की तरह माही नदी भी पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है। 

                           गंगा नदी तंत्र
गंगा नदी के 11 राज्यों से होकर प्रवाहित होती है। इसका प्रवाह मध्य प्रदेश के उत्तर एवं उत्तर पूर्वी जिलों तक सीमित है। गंगा नदी मध्य प्रदेश मध्य - पश्चिम जिलों में भी आंशिक रूप से प्रवाहित होती है।
 
गंगा नदी के उपनदी तंत्र  
• यमुना नदी उप तंत्र - चंबल , सिंध , केन , जामनी , बेतवा धसान , वैधान , पैसुनी। 
• टोंस नदी उप तंत्र - महान , ओदा , बीहड़। 
• सोन नदी उप तंत्र - रहन्द , गोपद , जोहिला , कन्हर। 

चंबल नदी
• उद्गम स्थान - चंबल नदी मध्य प्रदेश में सिगार चोटी के निकट जानापाव पहाड़ी के वाचू पॉइंट 616 किमी की ऊंचाई से निकलती है। 
• जानापावा पहाड़ी इंदौर जिले के महू में स्थित है। 
• अन्य नाम -  चर्मावती , धर्मावती , कामधेनु , रतिदेव , कीर्ति। 
• चंबल नदी की कुल लंबाई 965 किलोमीटर है । जबकि मध्यप्रदेश में इसकी लंबाई 320 किलोमीटर है। 
• नर्मदा नदी के बाद चंबल नदी मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। 
• चंबल नदी अपनी उत्खात भूमि के लिए प्रसिद्ध है। 
• चंबल की सहायक नदियां - कालीसिंध , क्षिप्रा , सिंध पार्वती , कुनो , बनास , कुआटो , कुद , नामवती , बामनी आलनिया , परवन , आहू , चाकण । 
• चंबल नदी के तट पर स्थित प्रमुख शहर - रतलाम , महू , श्योपुर  , मुरैना
• चंबल नदी की अध्यारोपित नदी है। 
• मुरैना,  श्योपुर और भिंड जिलों में एलुवियम चट्टानों को काटकर चंबल नदी गहरे गड्ढों का निर्माण करती है। जिन्हें बीहड़ कहते हैं । चंबल नतिलंब घाटी है। 
• चंबल नदी द्वारा होने वाला अपरदन अवनालिका अपरदन कहलाता है। 
• इंदौर , रतलाम , धार , उज्जैन , नीमच , मंदसौर ,  श्योपुर मुरैना , भिंड तथा राजस्थान के जिलों से होती हुई इटावा के निकट जमुना नदी में मिल जाती है। 
इस स्थान पर इससे अन्य चार नदियां का इससे  संगम होता है और यह उत्तर प्रदेश के बिठौली गांव में पांचों नदियां मिलकर पंचनद कहलाती हैं। 
• चंबल नदी भैसरोडगढ़ में 18 मीटर ऊंचा चुलिया जलप्रपात बनाती हैं। 
• चंबल नदी पर निर्मित बांध -  गांधी सागर बांध 
( मध्यप्रदेश) , राणाप्रताप सागर बांध ( राजस्थान ) ,
 जवाहर सागर बांध एवं कोटा बैराज। 
• विभिन्न सीमा पर चंबल नदी की लंबाई - 
  मध्य प्रदेश राजस्थान की सीमा पर लंबाई  - 216 किमी
  मध्य प्रदेश उत्तरप्रदेश की सीमा पर लंबाई - 112 किमी

बेतवा नदी 
 बेतवा नदी यमुना की प्रमुख सहायक नदी है यह हमीरपुर के पास यमुना नदी में मिलती है। 
• माताटीला बांध बेतवा नदी पर बनाया गया है। 
• भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना बेतवा-केन लिंक परियोजना है। 
• बेतवा नदी के किनारे कंचन घाट स्थित है जहां वीर सिंह बुंदेला की ऐतिहासिक तीन मंजीला छतरी बनाई गई है। 

क्षिप्रा नदी
• उद्गम स्थान -  क्षिप्रा नदी का उद्गम इंदौर की काकरीबर्डी पहाड़ियों से हुआ है। 
• अन्य नाम - पूर्ण सलिला , अवंति , पापहरिणी , सोमवती। 
• इस नदी को मालवा की गंगा कहा जाता है। 
• महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। 
• उज्जैन का कुंभ मेला क्षिप्रा नदी के तट पर लगता है। 

सिंध नदी
• सिंध नदी यमुना की सहायक नदी है जिसका उद्गम मध्य प्रदेश में विदिशा के सिरोज तहसील से होता है। 
• सहायक नदियाँ - पाहुज , कुँवारी , माहुर , पार्वती। 
 सिंध नदी की लंबाई - 470 किमी। 
 सिंध नदी  उत्तर पूर्व की ओर बढते हुए गुना , अशोकनगर , शिवपुरी , दतिया , ग्वालियर और भिंड जिलों से गुजरती है। अंत में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी से मिल जाती है। 

केन नदी
• उद्गम स्थान - केन नदी मध्य प्रदेश के कटनी जिले में भांडेर श्रेणी से निकलकर उत्तर प्रदेश की चिला गांव में यमुना  से मिल जाती है। 
• केन नदी की लंबाई
केन नदी की  कुल लंबाई - 427 किमी। 
मध्य प्रदेश में कुल लंबाई - 292 किमी। 
• अन्य नाम - शुक्तीमती , कर्णवती , कैनास। 
• केन नदी पर पांडव जलप्रपात स्थित है। 

सोन नदी तंत्र
• उद्गम स्थान - सोन नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक नामक स्थान से होता है। 
• लंबाई - 780 किमी.। 
• अन्य नाम - स्वर्णनदी , सोनपालिका , हिरण्यबाहु। 
• नदी पर बाणसागर परियोजना निर्मित की गई है। 
• सोन नदी में दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं। 
• सोन गंगा की सहायक नदी है। 

टोंस नदी तंत्र
 उद्गम स्थान - नदी का उद्गम सतना जिले के कैमूर श्रेणी में तमसा कुंड से होता है। 
• अन्य नाम - तमसा , ताऔन। 
• टोंस नदी गंगा की सहायक नदी है जो कि प्रयागराज के निकट सिरसा में गंगा में मिल जाती है। 
• सहायक नदियां - बबई , बेलन , सोनकर ,  बेलाज , महान आदि। 


                         गोदावरी नदी तंत्र
वैनगंगा नदी
• उद्गम स्थान - वैनगंगा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के पासवड़ पठार से हुआ है। 

वर्धा नदी
• उद्गम स्थान वर्धा नदी का उद्गम बैतूल जिले के मुलताई से हुआ है। 
• वर्धा नदी गंगा की सहायक नदी है वर्धा और वैनगंगा की संयुक्त धारा प्राणहिता के नाम से जानी जाती हैं। 

पेंच नदी
• उद्गम स्थान - पेंच नदी का उद्गम छिंदवाड़ा जिले की सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के दक्षिण पठार से हुआ है। 
• पेंच नदी कान्ह नदी की सहायक नदी है। 
• पेंच नदी महाराष्ट्र के नागपुर जिले में कान्ह नदी से मिलती है। 
• पेंच राष्ट्रीय उद्यान को यह नदी दो भागों में विभाजित करती है। 

                          महानदी तंत्र

उद्गम स्थान - महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के सिहावा पर्वत से मिलता है यहां से निकल गए यह नदी उड़ीसा में प्रवाहित होती है। 
    धमतरी के समीप सिहावा पर्वत से निकलकर उत्तर दिशा   में प्रवाहित होती हुई पूर्व की ओर मुड़ जाती है और उड़ीसा राज्य में प्रवेश करती है । जहां राउरकेला में इसपर हीराकुंड बांध बनाया गया है। यह नदी पारादीप के समीप बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं। महानदी एक प्रकार की अनुवर्ती नदी है। 
महानदी को "छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा" कहा जाता है। महानदी की कुल लंबाई 850 किलोमीटर है जबकि छत्तीसगढ़ में इसकी लंबाई 286 किलोमीटर है। 

मध्यप्रदेश की अन्य नदियाँ और उनसे संबंधित प्रमुख तथ्य - 

हलाली नदी
• अन्यनाम - बाणगंगा , बसे और थाल। 
• उद्गम स्थान -  सीहोर जिले के परवलिया नामक गांव से। 
• हलाली नदी पर सांची के समीप सम्राट अशोक सागर बांध या हलाली बांध का निर्माण किया गया है। 
•  भोपाल के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान और देवरा के राजपूतों के मध्य हुए युद्ध में दोस्त मोहम्मद खान द्वारा धोखे से राजपूतों की हत्या करके उन्हें नदी में बहा दिया गया जिस कारण नदी का  जल रक्त से लाल हो गया तभी से इस नदी  को हलाली नदी के नाम से जाना जाता है। 


मान नदी - मान नदी नर्मदा की सहायक नदी है जिसका उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिले से हुआ है। 
शिवना नदी - शिवना नदी चंबल की सहायक नदी है जिसका उद्गम मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले से हुआ है। 
जामनी नदी -  जामनी नदी  बेतवा की सहायक नदी है जो कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा बनाती है। 
छोटी काली सिंध - छोटी काली सिंध नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के देवास जिले से हुआ है। 
लखुन्दर नदी - लखुंदर नदी का उदगम मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के तराना तहसील से हुआ है। 
नेवज नदी - नेवज नदी का उद्गम सीहोर जिले की आष्टा तहसील से हुआ है। 
बेसली नदी - बेसली नदी का  उद्गम ग्वालियर जिले के काली पहाड़ से हुआ है इसे वैसूल नाम से भी जाना जाता है। 
आसन नदी - चंबल क्षेत्र के मुरैना जिले से आसन नदी का उद्गम हुआ। 
महुअर नदी - महुअर सिंध की सहायक नदी है। इसका उद्गम शिवपुरी जिले से हुआ है। 
बीना नदी - बीना नदी रायसेन जिले के देहगांव से निकलती है। बीना नदी पर झरना बना है। 
धसान नदी - धसान नदी का उद्गम रायसेन जिले से हुआ है। 
पाहुज नदी - पाहुज नदी का उद्गम शिवपुरी जिले के पिछोर तहसील से हुआ है। 
 







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