नूरजहाँ का इतिहास इन हिन्दी। नूरजहाँ का इतिहास नोट्स इन हिन्दी। noorjahan ka itihas in hindi

हेलो फ्रेंड्स आज हम आपको अपने इस लेख में नूरजहां के इतिहास के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं नूरजहाँ कौन थी ? नूरजहाँ का विवाह किसके साथ हुआ ? नूरजहाँ की मुलाकात जहांगीर से किस प्रकार हुई ? नूरजहां का शासन पर क्या प्रभाव था ? इन सभी प्रश्नों के जवाब आपको इस लेख के माध्यम से प्रदान किये जाएंगे । 


नूरजहां का विवाह शेर अफगान नामक एक व्यक्ति से हुयी थी। बंगाल के एक मुगल सूबेदार के साथ युद्ध में शेर अफगान की मृत्यु हो गई। बहुत से लोगों का कहना है कि शेर खान की हत्या जहांगीर के कहने पर की गई क्योंकि जहांगीर नूरजहां से विवाह करना चाहता था इसलिए उसने ऐसा करवाया । किंतु सभी इतिहासकारों का ये मत नहीं है क्योंकि ऐतिहासिक साक्ष्यों को देखने से पता चलता है कि जहांगीर , नूरजहां से बहुत बाद में मिला जबकि शेर अफगान की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। जहांगीर एक बार अपने किसी रिश्तेदार के यहां गया हुआ था जहां उसने नवरोज के त्यौहार में पहली बार नूरजहां को देखा और उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया तथा उससे विवाह कर लिया। 

नूरजहां के प्रमुख संबंधी -
नूरजहां का परिवार एक प्रतिष्ठित परिवार था और वह पहले भी मुगलों की सेवा में रह चुका था। नूरजहां से विवाह के पश्चात नूरजहां के सभी सगे संबंधियों को जहांगीर द्वारा राज्य में उच्च पद प्रदान किये गये। 

• वास्तविक नाम - नूरजहां का वास्तविक नाम मेहरूनिशा था बाद में जहांगीर ने उसे नूरमहल तथा नूरजहां की उपाधि दी। नूरमहल अर्थात महल का नूर या प्रकाश तथा नूरजहां अर्थात् पूरे संसार की रोशनी। 

• पिता - नूरजहां के पिता का नाम एतमादुददौला था। वह एक योग्य और कुशल व्यक्ति था। एतमादुददौला जहांगीर के शासनकाल के प्रथम वर्ष में ही संयुक्त दीवान के पद पर कार्य कर चुका था । नूरजहां से विवाह के पश्चात जहांगीर ने उसे मुख्य दीवान का पद दे दिया। 

• माता - नूरजहां की माता का नाम असमत बेगम था । जिसने गुलाब से इत्र बनाने की विधि का आविष्कार किया। 

• भाई - नूरजहां का भाई आसफ खान एक योग्य व्यक्ति था। जहांगीर ने उसे खान - ए - सामाँ का पद दिया यह पद उस समय केवल उन्हीं व्यक्तियों को दिया जाता था जिन पर बादशाह को पूर्णतः विश्वास होता था । आसफ खान ने अपनी बेटी अर्जुमंद बानो (मुमताज) बेगम का विवाह जहांगीर के पुत्र शाहजहां के साथ कराया। 

• पहला पति - नूरजहां के पहले पति का वास्तविक नाम अली कुली बेग था। एक अवसर पर उसने शेर को मार गिराया था जिससे प्रसन्न होकर जहांगीर ने उसे शेर अफगान की उपाधि दी थी। हालांकि उस समय तक जहांगीर नूरजहां से नहीं मिला था। 

• विवाह - नूरजहाँ  के 2 विवाह हुए थे। नूरजहां का पहला विवाह 1594 ईस्वी में अलीकुली बेग से जिसे शेर अफगान के नाम से भी जाना जाता है तथा दूसरा विवाह 1611 ईस्वी में जहांगीर से हुआ। नूरजहां जहांगीर की पांचवी बीवी थी। 

• नूरजहां की संतान - नूरजहां को अपने पहले पति एक बेटी थी जिसका नाम लाडली बेगम था । लाडली बेगम का विवाह जहांगीर के पुत्र शहरयार के साथ हुआ था। 


नूरजहां का शासन पर प्रभाव 

नूरजहां जहांगीर की बेगम होने के साथ-साथ उसकी एक अच्छे दोस्त भी थी वह उसके साथ शिकार में जाया करती थी नूरजहां एक अच्छे घुड़सवार और पक्की निशानेबाज भी थी। 
कुछ इतिहासकारों के अनुसार उस समय दरबार में दो गुट बन गए थे एक गुट नूरजहां तथा उसके सहयोगीयों का तथा दूसरा गुट नूरजहां के विरोधियों का था। 

नूरजहां के गुट में उसके पिता एतमादुददौला , भाई आसफ खान और खुर्रम (शाहजहां) सम्मिलित थे। हालांकि शाहजहाँ ने 1622 ईस्वी में जहांगीर के खिलाफ विद्रोह कर दिया जिसका कारण जहांगीर द्वारा नूरजहां को अत्यधिक महत्व देना भी बताया जाता है किंतु बाद में शाहजहां द्वारा जहांगीर से माफी मांग ली गई और शासक बनने के पश्चात भी शाहजहां ने नूरजहां को सदैव सम्मान दिया। 

 इतिहासकारों की मानें तो सभी महत्वपूर्ण निर्णय नूरजहां लिया करती थी किंतु सभी इतिहासकार इस मत से सहमत नहीं है क्योंकि जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुक  - ए -  जहांगीरी में यह स्पष्ट कहा है कि उसका स्वास्थ्य खराब होने तक वह स्वयं सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिया करता था । 

नूरजहां बहुत ही योग्य एवं कुशल महिला थी उसकी स्थिति के कारण दरबार में फारसी परंपराओं से संबंधित संस्कृति का विकास हुआ और फारसी कला को प्रतिष्ठा प्राप्त हुई । 

हालांकि नूरजहां जहांगीर की बहुत ही प्रिय तथा करीबी थी  इसलिए किसी भी व्यक्ति को यदि जहांगीर से कोई भी महत्वपूर्ण कार्य कराना होता तो वह सिफारिश लेकर नूरजहां के पास जाया करते थे। नूरजहां से पहले कोई भी स्त्री इतनी शक्तिशाली नहीं हुई। महाबत खान द्वारा जहांगीर को बंदी बना दिए जाने के क्रम में भी नूरजहां ने अपनी कूटनीति से जहांगीर को स्वतंत्र करवाया था। 

किंतु जहांगीर पूर्णतः नूरजहां पर निर्भर था इस तथ्य को सही नहीं माना जा सकता क्योंकि नूरजहां के गुट के ना रहने के बावजूद बहुत से अमीरों को भी उसी प्रकार उच्च पद प्राप्त हुए जिस प्रकार नूरजहां के गुट में सम्मिलित व्यक्तियों को प्राप्त थे। 



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