jahangir ka itihas in hindi। जहांगीर का इतिहास

हेलो दोस्तों आज हम आपको अपने इस लेख में जहांगीर से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराने जा रहे हैं। 
जैसे जहांगीर कब राजा बना ? जहांगीर और अनारकली का क्या संबंध था ? जहांगीर ने नूरजहां से विवाह कब किया ? जहांगीर के शासनकाल में खुसरो का विद्रोह  ?आदि । 





परिचय :-

जन्म -  30 अगस्त 1596 ईसवी 

बचपन का नाम - सलीम 

उपाधि - नूरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर बादशाह गाजी 

आत्मकथा -  तुजुक ए जहांगीरी , जहांगीर ने अपनी आत्मकथा फारसी भाषा में लिखी है। जहांगीर की मृत्यु 
के पश्चात मोहम्मद हादी ने इसे पूरा किया। 

पिता - अकबर 

माता -  हरका बाई ( इतिहास में जहांगीर की मां का नाम जोधाबाई प्रचलित है किंतु इस बात का कोई भी ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है जोधा बाई नाम का उल्लेख जहांगीर की मां के रूप में या अकबर की पत्नी के रूप में कहीं भी नहीं मिलता है) 

राज्य अभिषेक - 3 Nov 1605 ईस्वी
मकबरा -  जहांगीर का मकबरा शहादरा लाहौर में स्थित है। 

जहांगीर की पत्नियां तथा उनसे प्राप्त संताने - 
• मानबाई  - खुसरो
• जगतगोसाई  - खुर्रम
• रुखसाना बानो  - शहरयार
• सलमा बानो  - परवेज
• नूरजहां - लाडली बेगम ( लाडली बेगम नूरजहां के पहले पति की पुत्री थी जिसका विवाह नूरजहां ने जहांगीर के बेटे शहरयार के साथ किया) 

प्रारंभिक शासन काल :-

जहांगीर अकबर का सबसे बड़ा बेटा था जो बिना किसी कठिनाई के बादशाह बना क्योंकी जहांगीर के अन्य सभी छोटे भाई अकबर के शासनकाल में ही अत्यधिक शराब पीने के कारण मर चुके थे। 

बादशाह बनने के एक साल के अंदर ही जहांगीर को अपने पुत्र खुसरो का विद्रोह झेलना पड़ा । जहांगीर ने उसे लाहौर में पराजित किया तथा कुछ समय पश्चात उसे कैद कर लिया गया जहां उसके भाई शाहजहां द्वारा उसकी हत्या करवा दी गई। 

खुसरो के विद्रोह के समय सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव ने उसे संरक्षण प्रदान किया था। इसलिए जहांगीर ने उन्हें भी मृत्युदंड दे दिया। इसका एक प्रमुख कारण जहांगीर द्वारा इस्लाम के कट्टर अनुयायियों मुस्लिमों का समर्थन प्राप्त करना भी था। 

प्रमुख अभियान :-
मेवाड़ विजय अभियान - महाराणा प्रताप के बाद उनका पुत्र अमर सिंह मेवाड़ का शासक बना । शासक बनते ही जहांगीर ने सर्वप्रथम मेवाड़ के विरुद्ध अभियान चलाया महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने अपने पिता की भांति मुगलों की अधीनता स्वीकार न करने और उनसे संघर्ष करने का निर्णय लिया।  अमरसिंह ने  वीरता पूर्वक मुगलों के विरुद्ध संघर्ष किया। 

1613 ईस्वी में जहांगीर ने अपने पुत्र खुर्रम (शाहजहाँ)को मेवाड़ विजय के अभियान पर भेजा इस युद्ध के परिणाम स्वरूप मेवाड़ और मुगलों के मध्य संधि हो गई। 

मेवाड़-मुगल संधि की शर्ते
राणा अमरसिंह ने मुगलों की अधीनता स्वीकार की। 

मुगलों द्वारा संधि की जाने पर प्राय विवाह संबंध स्थापित किए जाते थे किंतु मेवाड़ ने किसी प्रकार का वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं किया। 

 अमर सिंह ने अपने पुत्र करण सिंह को मुगल दरबार में भेजा। किंतु वे स्वयं मुगलों के दरबार में नहीं गए। 

मुगलों द्वारा चित्तौड़ का किला राजा अमर सिंह को दिया गया किंतु उनके समक्ष यह शर्त रखी गई कि उनके द्वारा किले का सुदृढ़ीकरण नहीं करवाया जाएगा। 

दक्षिण विजय अभियान :-
दक्षिण भारत में जहांगीर को मलिक अंबर से युद्ध करना पड़ा जो अकबर द्वारा स्थापित बंदोबस्त को मानने से इंकर कर रहा था। 
मलिक अंबर से युध्द करने के लिए जहांगीर ने अपने पुत्र खुर्रम को भेजा तथा मलिक अंबर को पराजित करने के उपलक्ष्य में जहांगीर ने खुर्रम को शाहजहां की उपाधि दी। 
1622 ईस्वी तक जहांगीर ने मलिक अंबर को अपने समक्ष झुकने पर विवश कर दिया। 

जहांगीर के शासनकाल से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :-
 जहांगीर ने जनता को न्याय दिलाने हेतु आगरा के किले में "सोने की जंजीर वाली घंटी" लगवाई। 

जहांगीर चित्रकला प्रेमी था मैं स्वयं भी बहुत अच्छा चित्रकार था जहांगीर के काल को चित्रकला का स्वर्ण युग कहा जाता है। 
उसके काल के दो प्रमुख चित्रकार :-
मंसूर (नादिर - उल - अस्त्र) - पक्षियों का चित्र बनाने में निपुण। 
अबुल हसन (नादिर - उद्- जमा) - व्यक्तियों का चित्र बनाने में निपुण। 

जहांगीर एक उच्च कोटि का लेखक था । उसने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी , फारसी भाषा में लिखी थी जिसे बाद में मोहम्मद हादी ने पूरा किया। 

जहांगीर ने दो अस्पा एवं सिंह अस्पा प्रथा चलाई। 

जहांगीर के शासनकाल में कैप्टन हॉकिंस भारत आया जो  जेंम्स-1 का राजदूत था । जहांगीर ने उसे 400 का मनसब एवं इंग्लिश खाँ की उपाधि प्रदान।  कैप्टन हॉकिंस 1608 से 1611 तक जहांगीर के दरबार में रहा। 







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