sikh dharm । गुरुनानक देव और गुरु गोविन्दसिंह
सिख धर्म का उदय 1469 ईस्वी में हुआ सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की इस समय भारत में मुगलों का शासन था जिस कारण इस्लाम धर्म का अत्यधिक प्रचार प्रसार बढ़ रहा था तथा हिंदू एवं अन्य धर्मों का धीरे-धीरे पतन हो रहा था । धर्म की रक्षा एवं लोगों में जात-पात के भेदभाव को दूर कर एकता की भावना पैदा करने के लिए सिख गुरु ने महत्वपूर्ण योगदान दिए।
सिखों में 10 गुरु हुए जिनका विवरण आप पढ़ सकते हैं।
( sikhon ke 10 guru in hindi)
1 . गुरु नानक देव ( 1469-1539 ईसवी )
• गुरुनानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 में हुआ।
• पिता - इनके पिता का नाम कल्याण चंद ( कालू जी) था।
• माता - इनकी माता का नाम तृप्ता था।
• गुरनानक देव जी को सिख धर्म का संस्थापक कहा जाता है।
• गुरु नानक देव का जन्म तलवंडी नामक स्थान में हुआ। जो वर्तमान में ननकाना बाद ( पाकिस्तान ) में आता है।
• गुरनानक देव जी की पत्नी का नाम सुलक्खनी था जिनसे इन्हें 2 पुत्र श्रीचंद एवं लक्ष्मीचंद की प्राप्ति हुई।
• गुरुनानक देव जी ने लंगर ( पंगत ) व्यवस्था का प्रारंभ किया।
• गुरु नानक देव जी ने करर्तारपुर नामक एक नगर की स्थापना की । जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है।
• गुरु नानक देव जी की मृत्यु 1539 ईस्वी में करर्तारपुर में हुई में हुई।
2 . अंगद देव ( 1539-1552 ईसवी )
• गुरुनानक देव के पश्चात उनके शिष्य अंगद देव सिख धर्म के अगले गुरु बने।
• इनका जन्म फिरोजपुर ( पंजाब) 31 March 1504 में हुआ।
• इनके पिता का नाम फेरू जी तथा माता का नाम रामाजी था।
• अंगद देव सिख धर्म के दूसरे गुरु थे।
• अंगद देव का प्रारंभिक नाम लहना था।
• अंगददेव जी ने गुरुमुखी लिपि का आविष्कार किया । पंजाबी भाषा गुरुमुखी लिपि में लिखी जाती है।
• अंगद देव जी ने लंगर व्यवस्था को स्थायी बनाया।
3 . अमर दास ( 1552-1574 ईसवी )
• अंगद देव के पश्चात अमरदास सिख धर्म के तीसरे गुरु बने।
• अकबर ने अमर दास जी की पुत्री बीवी भानी को 500 बीघा भूमि दान में दी।
• इसी भूमि पर गोविंदवाल स्थापित किया गया।
4 . रामदास ( 1574-1581 ईसवी )
• सिख धर्म के चौथे गुरु रामदास हुए।
• गुरु रामदास अमर दास के दामाद थे।
• रामदास ने अमृतसर नामक नगर बसाया जिसे पहले रामदासपुर के नाम से जाना जाता था।
• रामदास के बाद सिख धर्म के गुरु का पद पैतृक बन गया अर्थात एक गुरु के पश्चात उसके पुत्र के गुरु बनने की प्रथा प्रारंभ हो गई।
5 . अर्जुन देव ( 1581-1606 ईसवी )
• अर्जुन देव सिख धर्म के पांचवे गुरु थे।
• गुरु अर्जुनदेव जी का जन्म 15 अप्रैल 1563 को हुआ।
• अर्जुन देव को सच्चा बादशाह है भी कहा जाता है।
• अर्जुन देव जी ने अमृतसर में तालाब के मध्य में हरमिंदर साहब (Golden Temple)🕌 का निर्माण करवाया।
• 1604 ईस्वी में इन्होंने आदि ग्रंथ की रचना की।
• जहांगीर के पुत्र खुसरो द्वारा विद्रोह किए जाने पर अर्जुन देव ने खुसरो को संरक्षण प्रदान किया था।
• गुरु अर्जुन देव जी को जहांगीर द्वारा खुसरो के विद्रोह के समय उसे संरक्षण प्रदान करने के कारण 1606 में मृत्यु दंड दे दिया गया।
6 . हरगोविंद ( 1606-1645 ईसवी )
• हरगोविंद सिखों के 6 वें गुरु थे।
• उन्होंने सिखों में सैन्य शिक्षा प्रारंभ की।
• सिखों में सैन्य शिक्षा प्रारंभ कर सेना के निर्माण करने के कारण मुगलों द्वारा इन्हें 12 वर्ष तक अपनी कैद में रखा गया।
• हरगोविंद जी ने अमृतसर नगर की किलेबंदी करवायी ।
• अकाल तख्त ( ईश्वर का सिंहासन ) का निर्माण करवाया।
7 . हरराय ( 1645-1661 ईसवी )
• हरराय सिखों के 7 वें गुरु थे।
• इन्होंने शाहजहां के पुत्र दाराशिकोह को आशीर्वाद दिया।
• इन्होंने अपने बड़े पुत्र रामराय की जगह अपने छोटे पुत्र हरकिशन को उत्तराधिकारी बनाया।
8 . हरकिशन ( 1661-1664 ईसवी )
• हरकिशन सिखों के आठवें गुरु थे।
• हरकिशन मात्र 6 वर्ष की आयु में सिक्खों के गुरु बने थे।
• शीघ्र ही चेचक के कारण हरकिशन की मृत्यु हो गई।
9 . गुरु तेगबहादुर ( 1664-1675 ईसवी)
• गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे।
• गुरु तेग बहादुर हरगोविंद के पुत्र थे इन्होंने पद के लिए उत्तराधिकार का युद्ध लड़ा।
• गुरु तेग बहादुर को दिल्ली के शीश गंज में औरंगजेब द्वारा मृत्यु दंड दे दिया गया।
10 . गुरु गोविंद सिंह ( 1675-1708 ईसवी )
• गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे।
• इनका जन्म सन् 1666 ईस्वी में पटना में हुआ।
• गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर नामक नगर की स्थापना की।
• गुरु गोविंद सिंह ने सिखधर्म में 5 ' क ' अर्थात केश , कंघा कच्छा , कड़ा तथा कृपाण रखने की परंपरा चलाई।
• इन्होंने आदि ग्रंथ का पुनः संकलन किया।
• 1699 ईस्वी में गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई।
• मृत्यु - 1708 ईस्वी में नांदेर (गोदावरी तट पर) एक पठान द्वारा गुरु गोविंद सिंह जी की हत्या कर दी गई।
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