गुलाम वंश । गुलाम वंश का इतिहास इन हिंदी । Gulam vansh ।। slave dynasty। Gulam vansh ka itihas। #upsc

मोहम्मद गोरी ने अपनी एक गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का शासन संभालने का कार्यभार सौंपा । मोहम्मद गौरी की मृत्यु के पश्चात कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ईसवी में स्वतंत्र रूप से दिल्ली पर शासन करने लगा। मोहम्मद गौरी के एक अन्य दास यलदूज जिसे मोहम्मद गौरी ने गजनी के तख्त पर बैठाया था उसने भी गजनी में शासन करते हुए दिल्ली पर भी अपना अधिकार स्थापित करना चाहता था इसलिए कुतुबुद्दीन ऐबक में  गजनी से  सभी प्रकार के संबंध समाप्त कर दिए और  स्वतंत्र रूप से दिल्ली का शासक बना। उसने गुलाम वंश की स्थापना की ।

गुलाम वंश का नामकरण -

कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का दास या गुलाम था इसीलिए इस वंश को गुलाम वंश के नाम से जाना जाता है । गुलाम वंश को इलबारी और मामलूक वंश के नाम से भी जाना जाता है । इस वंश में केवल 3 ही ऐसे शासक हुए जो कि किसी के गुलाम थे पहला कुतुबुद्दीन ऐबक जो मोहम्मद गौरी का दास था, दूसरा इल्तुतमिश जो कुतुबुद्दीन ऐबक का दास तथा दामाद था तथा तीसरा बलबन हुआ। 
गुलाम वंश में कुल 11 शासक  हुई जिन्होंने 84 वर्षों तक शासन किया। 

गुलाम वंश के प्रमुख शासक -
• इल्तुतमिश (1211-1236)  
• बहरामशाह (1240 -1242) 
• अलाउद्दीन महमूदशाह (1242-1246) 
• नसीरुद्दीन महमूद (1246 -1261)
• कैकुबाद (1286 -1290) 
• क्यूमर्श ( 1290 ई.) 

इस वर्ष का अंतिम शासक क्यूमर्श था। 

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