Tuglak vansh ka ithihas। तुगलक वंश का इतिहास। Tuglak vansh notes in hindi
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में अमीर तुर्क सरदारों की शक्ति को नष्ट कर दिया और उन्हें अपने अधीन कर लिया। इससे पूर्व बलबन ने भी अमीर तुर्क सरदारों की शक्ति को समाप्त करने का प्रयास किया था किंतु वह इसमें पूर्णतः सफल नहीं हो पाया था किंतु अलाउद्दीन खिलजी ने अमीर तुर्कों को पूर्णत: अपने अधीन कर लिया और इस प्रकार उसके शासनकाल में अमीर तुर्क सरदार फिर कोई विद्रोह नहीं कर सके और उसका शासनकाल एक शांति व्यवस्था वाला काल रहा किंतु अलाउद्दीन खिलजी द्वारा आमिर तुर्क सरदारों के प्रति अपनाई गई यह नीति दीर्घकालिक दृष्टि से हानिकारक सिद्ध हुई।
1316 में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के पश्चात उसके सबसे करीबी कहे जाने वाले मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी के अवयस्क बेटे को गद्दी पर बैठाया और उसके अन्य बेटों को बंदी बना लिया या उन्हें नेत्रहीन बना दिया।
महल का कोई भी व्यक्ति मलिक काफूर का विरोध नहीं कर सका क्योंकि कोई भी ऐसा दल अस्तित्व में नहीं था जो कि इतना शक्तिशाली हो जो इसका विरोध कर सकें इससे पूर्व अमीर तुर्क सरदारों के भय के कारण किसी भी शासक ने ऐसा करने की हिम्मत नहीं की थी और जिन शासकों ने ऐसा किया भी था उन्हें अमीर तुर्कों का समर्थन प्राप्त था।
मलिक काफूर भी अधिक समय तक जीवित नहीं रह सका और महल के पहरेदार ओं द्वारा उसकी हत्या कर दी गई तत्पश्चात मलिक खुसरो नामक एक व्यक्ति तख्त पर बैठा।
मलिक खुसरो पहले एक हिंदू था जो धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बन गया और बाद में शासक बना।
1320 में गयासुद्दीन तुगलक से युद्ध में मलिक खुसरो हारा और गयासुद्दीन तुगलक ने उसकी हत्या करके तुगलक वंश की स्थापना की।
तुगलक वंश
• गयासुद्दीन तुगलक (1320-1324)
• मोहम्मद बिन तुगलक (1324-1351)
• फिरोजशाह तुगलक (1351-1388)
• सुल्तान मोहम्मद (1388 - 1394)
• नसीरुद्दीन महमूद (1394 - 1398)
(1) गयासुद्दीन तुगलक -
• गाजी मलिक ने इस वंश की स्थापना की जो गयासुद्दीन तुगलक के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
• गयासुद्दीन तुगलक अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य व्यवस्था को अपनाया किंतु उसने अमीरों को भूमि दान दी।
• गयासुद्दीन तुगलक ने 29 अवसरों पर मंगोलों से संघर्ष किया। उसने मलिक-उल-गाजी की उपाधि धारण की।
• गयासुद्दीन तुगलक वह प्रथम शासक था जिसने नेहरों का निर्माण सिंचाई हेतु करवाया।
• गयासुद्दीन तुगलक ने तुग़लकाबाद नामक शहर बसाया।
• बंगाल के अभियान के पश्चात गयासुद्दीन तुगलक के दिल्ली लौटने पर उसके स्वागत के लिए उसके बेटे मुहम्मद-बिन-तुगलक के आदेश पर लकड़ी का पंडाल बनाया गया यह लकड़ी का पंडाल बहुत ही जल्दबाजी में बनाया गया था जिस कारण पंडाल गिर पड़ा और पंडाल के नीचे दबकर गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गई।
(2) मुहम्मद-बिन-तुगलक
• मुहम्मद-बिन-तुगलक अपनी पिता की मृत्यु के पश्चात 1324 ईस्वी में गद्दी पर बैठा।
• मुहम्मद बिन तुगलक मध्यकालीन इतिहास का सबसे अधिक शिक्षित शासक था।
• मुहम्मद-बिन-तुगलक का वास्तविक नाम जूना खाँ था।
• मुहम्मद बिन तुगलक धर्म एवं दर्शन का एक बहुत बड़ा विद्वान था । उसने धर्म और दर्शन को प्रोत्साहन देने का कार्य किया।
• मुहम्मद-बिन-तुगलक ने अपने शासनकाल में अनेक प्रयोग किए किंतु उसके यह प्रयोग असफल रहे।
मोहम्मद बिन तुगलक के प्रयोग -
• मुहम्मद बिन तुगलक में बेसब्री एवं जल्दबाजी का गुण था संभवतः यही कारण था कि उसके द्वारा किए गए नवीन प्रयोग अच्छे होते हुए भी सफल सिद्ध नहीं हुए।
• दिल्ली का सुल्तान बनने से पूर्व मुहम्मद-बिन-तुगलक देवगिरी का सूबेदार था।
• इतिहास में मुहम्मद-बिन-तुगलक पागल,रक्तपिपासु एवं स्वप्नशील आदि नामों से संबोधित किया गया है। यह नाम उसके द्वारा यह गए असफल प्रयोगों के कारण पड़ा है।
• मोहम्मद बिन तुगलक के समय मोरक्को यात्री इब्नबतूता(1333-47) भारत आया। इब्नबतूता ने अपना यात्रा विवरण रेहला नाम की पुस्तक में लिखा है।
• मोहम्मद बिन तुगलक के समय दक्षिण भारत में 2 नए राज्यों विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य की स्थापना हुई।
• मृत्यु - मुहम्मद-बिन-तुगलक की मृत्यु पर बदायूंनी लिखता
है :-
"अंततः लोगों को उससे और उसे लोगों से मुक्ति मिल गई।"
फिरोजशाह तुगलक (1351-1388)
• मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के पश्चात उसका चचेरा भाई फिरोज शाह तुगलक गद्दी पर बैठा जिसे इतिहास में एक लोक - कल्याणकारी शासक के रूप में जाना जाता है।
• फिरोजशाह तुगलक ने कुलीनो ,सेना और धर्म शास्त्रीयों को खुश करने की नीति अपनाई।
• उसने इक्तादारी में उत्तराधिकार की प्रथा चलाई अर्थात किसी कुलीन के बाद उसका बेटा और यदि उसका बेटा ना हो तो उसके गुलाम को ईक्ता प्रदान किया जाने लगा। यही कारण था कि उसके शासनकाल में अमीरों का कोई विद्रोह नहीं हुआ।
• उसने स्वयं को सच्चा मुस्लिम बादशाह है एवं अपने साम्राज्य को सच्चा मुस्लिम राज्य बताया।
• ब्राह्मणों पर सर्वप्रथम जजिया कर फिरोजशाह तुगलक ने ही लगाया था।
• वह पहला शासक था जिसमें हिंदू धर्म ग्रंथों के संस्कृत से फारसी अनुवाद कराने के कदम उठाए।
• उसके शासन काल का प्रमुख वास्तुकार मलिक-गाजी-सहना था।
• उसने सिक्कों पर खलीफा का नाम लिखवाया।
• उसके अनेक मानवतावादी कार्य एवं लोक निर्माण कार्यों के कारण ही उसे लोक कल्याणकारी शासक कहा जाने लगा।
फिरोजशाह तुगलक के मानवतावादी कार्य :-
• उसने चोरी एवं अन्य छोटे अपराधों पर अमानवीय दंड देना बंद कर दिया।
• गरीबों के लिए अस्पताल का निर्माण करवाया।
दारुल सफा - खैराती अस्पताल
• गरीबों की बेटियों के लिए दहेज की व्यवस्था की।
• सार्वजनिक निर्माण विभाग की स्थापना की।
• सिंचाई हेतु नेहरों का निर्माण करवाया , नेहर की मरम्मत व खुदाई करवाई । उसके शासन काल में सबसे लंबी नहर सतलज से हांसी तक बनवाई गई जो 200 किलोमीटर लंबी थी।
• गरीबों एवं विधवा महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु दीवान-ए-खैरात नाम के एक विभाग की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित लोक निर्माण विभाग के प्रमुख कार्य :-
• उसने 24 करो को समाप्त कर केवल 4 कर लगाए
- खम्स
- खराज
- जजिया
- जकात
• फिरोजशाह तुगलक ने अपने शासनकाल में 300 नगर बसाए जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
हिसार, फतेहाबाद, जौनपुर ,फिरोजपुर ,फिरोजाबाद आदि।
• उसने सिंचाई कर लगाया जिसे हक्क-ए-सर्व कहा जाता था।
• हिंदू धर्म ग्रंथ के फारसी भाषा में अनुवाद हेतु अनुवाद- विभाग की स्थापना की।
• फिरोजशाह तुगलक अशोक के स्तंभ को मेरठ और टोपरा से दिल्ली लाया।
• फिरोजशाह तुगलक से संबंधित प्रमुख ग्रंथ -
फतुहात-ए-फिरोजशाही - फिरोजशाह तुगलक
तारीख-ए-फिरोजशाही - बरनी
" फिरोजशाह तुगलक के अनुसार राज्य का कार्य केवल दंड देना और कर वसूला ही नहीं है बल्कि वह एक कल्याणकारी संस्था भी है। "
फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु के पश्चात बनने वाले शासक इतिहास की दृष्टि से कोई महत्वपूर्ण शासक नहीं हुए किंतु एक क्रम समझने के लिए आप इन्हें पढ़ सकते हैं:-
(3) सुल्तान मुहम्मद ( 1388-1394) - सुल्तान मोहम्मद फिरोज़ शाह तुगलक का बेटा था।
(4) नसीरूदन महमूद ( 1394-1412) - नसीरुद्दीन महमूद के समय 1398 में तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया।
हालांकि फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु के पश्चात से ही तुगलक वंश कमजोर पड़ गया था किंतु यह किसी प्रकार से 1412 तक चलता रहा।
1412 में खिज्र खाँ ने सैयद वंश की स्थापना की।
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